गडकरी ने कहा - प्राचीन इतिहास और ग्रंथ संपदा का डिजीटलाइजेेशन जरूरी, मधुकर जोशी को ज्ञानोबा तुकाराम पुरस्कार 

गडकरी ने कहा - प्राचीन इतिहास और ग्रंथ संपदा का डिजीटलाइजेेशन जरूरी, मधुकर जोशी को ज्ञानोबा तुकाराम पुरस्कार 

Tejinder Singh
Update: 2019-08-18 10:50 GMT
गडकरी ने कहा - प्राचीन इतिहास और ग्रंथ संपदा का डिजीटलाइजेेशन जरूरी, मधुकर जोशी को ज्ञानोबा तुकाराम पुरस्कार 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सांस्कृतिक विरासत व संतों की सांस्कृतिक विचारधारा महाराष्ट्र की वास्तविक शक्ति है। पुराने संत साहित्य, उनके भावार्थ नई पीढ़ी के लिए उपलब्ब्ध कराना आवश्यक है। इसके लिए प्राचीन ग्रंथ संपदा का डिजीटालाइजेशन होना चाहिए। भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने यह विचार व्यक्त किए। रविवार को सांस्कृतिक संचालनालय की ओर से संत साहित्य के अभ्यासक डॉ.मधुकर रामदास जोशी को ज्ञानोबा तुकाराम पुरस्कार प्रदान किया गया। श्री गडकरी इसी अवसर पर बोल रहे थे। राज्यसभा सदस्य डॉ.विकास महात्मे, महापौर नंदा जिचकार , सांस्कृति कार्य संचालनालय की संचालक मीनल जोगलेकर, सांस्कृति कार्य विभाग के अवर सचिव शैलेश जाधव, पुरस्कार चयन समिति के सदस्य डॉ.गुरुप्रसाद पाठमोड उपस्थित थे। श्री गडकरी ने कहा कि महाराष्ट्र संतों की भूमि है। संत श्री ज्ञानेश्वर, श्री नामदेव, श्री तुकाराम, श्री तुकडोजी महाराज, श्री गाडगेबाबा, श्री गुलाबराव महाराज केवल संत नहीं सही मायने में समाज सुधारक थे। सत्कारमूर्ति डॉ.मधुकर जोशी ने कहा कि ज्ञानोबा तुकाराम पुरस्कार से सम्मानित होना मेरा ही नहीं संत साहित्य क्षेत्र में काम करनेवाले सभी लोगों का सम्मान है। विदर्भ सारस्वत भूमि है। इस पवित्र भूमि में महानुभाव पंथ का विकास हुआ। दत्त संप्रदाय का भी उदय हुआ। रामदासी व महानुभाव पंथ की शब्दरचना अवलौकिक व विस्मयकारी है। सूफी संप्रदाय का महत्व भी विलक्षण है। कार्यक्रम के आरंभ में गायम प्रथमेश लघाटे, शरयू दाते, गुणवंत घटवाई, सोनाली दीक्षित ने संगीतमय भक्तिरंग पेश किए। प्रस्तावना मीनल जोगलेकर ने रखी। संचालन रेणुका देशकर ने किया। आभार श्रीराम पांडे ने माना।

देश का पैसा देश में ही हो निवेश, लघु और मध्यम उद्योग समग्र नीति पर चर्चा सत्र

इससे पहले रविवार को लघु सूक्ष्म व मध्यम उद्योग विकास मामलों के मंत्री गडकरी ने कहा था कि विदेशी निवेश को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा है कि वे भी विदेशी निवेश का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन यह भी मानते हैं कि विरोध का कुछ आधार होना चाहिए। केवल विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है। देश का पैसा देश में ही निवेश हो, उद्योग बढ़ें, बड़े पैमाने पर उत्पादन हो, निर्यात बढ़े, इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है। इससे रोजगार बढ़ेगा। उनका विभाग लघु उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है। इन उद्योगों को बढ़ाने के लिए लघु भारती को सामने आना चाहिए। सुरेश भट सभागृह में लघु उद्योग भारती के अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को लघु व मध्यम उद्योग समग्र नीति विषय पर चर्चा सत्र में श्री गडकरी बोल रहे थे। गडकरी ने कहा था कि अलीबाबा, अमेजन जैसे व्यावसायिक वेब पोर्टल से लघु उद्योग में उत्पादन बढ़ रहा है। हिमालय में तैयार किया गया शहद 70 हजार रुपए प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है। अपने क्षेत्र में उत्पादित पौष्टिक शहद का 100 रुपए का भाव भी नहीं मिल पाता है। यह मार्केटिंग का दोष नहीं है। इस दोष काे दूर करने के लिए भारत क्रॉप्ट व जेम के सहयोग से जल्द ही एमएसएमई के लिए वेब पोर्टल पेश किया जाएगा। पोर्टल की वार्षिक आय 10 लाख करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। विविध समस्याओं में पाबंदी उपाय नहीं, बल्कि पर्याय उपलब्ध करना उपाय है। प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर है, लेकिन पर्यावरण के लिए प्लास्टिक पर पाबंदी किसलिए। पर्याय लाना आवश्यक है। ब्राजील से पर्यावरण उपयुक्त तकनीक लाकर नए तरीके से प्लास्टिक तैयार किया जाता है। 

दूर होंगी सरकारी अड़चनें

गडकरी ने कहा कि लघु उद्योग के लिए सरकारी अड़चनें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस क्षेत्र में उद्योग के पेमेंट 45 दिन में मिलने के लिए आवश्यक निर्णय की जल्द घोषणा की जाएगी। संघ के पूर्व सरसंघचालक के.सी. सुदर्शन तेल, बीज से ईंधन तैयार करने की बात कर रहे थे। तब लोग उन पर हंसते थे। कहा जाता था कि ऐसा हो ही नहीं सकता है, लेकिन उनसे जुड़कर उनके विजन के अनुरूप लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जा 
सका है। 

70 हजार रुपए प्रति किलो बिक रहा शहद

गडकरी ने कहा कि अलीबाबा, अमेजन जैसे व्यावसायिक वेब पोर्टल से लघु उद्योग में उत्पादन बढ़ रहा है। हिमालय में तैयार किया गया शहद 70 हजार रुपए प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है। अपने क्षेत्र में उत्पादित पौष्टिक शहद का 100 रुपए का भाव भी नहीं मिल पाता है। यह मार्केटिंग का दोष नहीं है। इस दोष काे दूर करने के लिए भारत क्रॉप्ट व जेम के सहयोग से जल्द ही एमएसएमई के लिए वेब पोर्टल पेश किया जाएगा। पोर्टल की वार्षिक आय 10 लाख करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। विविध समस्याओं में पाबंदी उपाय नहीं, बल्कि पर्याय उपलब्ध करना उपाय है। प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर है, लेकिन पर्यावरण के लिए प्लास्टिक पर पाबंदी किसलिए। पर्याय लाना आवश्यक है। ब्राजील से पर्यावरण उपयुक्त तकनीक लाकर नए तरीके से प्लास्टिक तैयार किया जाता है। 

लघु उद्योग विकास के मामले में अधिकारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बाधक कहा है। संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णा गोपाल ने कहा है कि सौ में एक एक अधिकारी ठीक रहता है। शेष अधिकारी फाइलें रोकने का काम करते हैं। नियमों की फौज लगा दी जाती है। नकारात्मकता के कारण लघु उद्योग का विकास रुक जाता है। लघु उद्योग भारती के अधिवेशन के दूसरे दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सहसरकार्यवाह ने यह विचार रखे। मंच पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अर्जुन मेघवाल, उद्यमी अजीत सिंह, लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष जीतेंद्र गुप्त, सचिव गोविंद लेले, प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र वैद्य उपस्थित थे।

डॉ. गोपाल ने कहा कि देश की  जनसंख्या 130 करोड़ की है। ऐसे में देश में बड़े पैमाने पर आयात होता है। लघु सूक्ष्म मध्यम उद्योग से यह कमी दूर करना है। उसके लिए सरकार को आवश्यक  नीति अमल में लाना होगा। उद्याेग क्षेत्र से 165 करोड़ लोगों की आवश्यकता पूरी हो, इस लक्ष्य के साथ उत्पादन बढ़ाना होगा। डॉ. गोपाल ने कहा कि विश्व व्यापार वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन के दायरे में आए हैं। सभी राष्ट्रों को उन नियमों का पालन करना होता है, लेकिन कई राष्ट्र डब्ल्यूटीओ के नियम का पालन नहीं करते हैं। नियम पालन नहीं करने में चीन अग्रसर है। पेंटेंडेट उत्पादन की बनावट तैयार करने में चीन आगे है। वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन की नियमावली से भारतीय उद्योग संकट में हैं। ई-कामर्स व्यवसाय का बड़ा झटका भारतीय उद्योग पर लग रहा है। 

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