छात्रवृत्ति की रकम सीधे विद्यार्थियों के खाते में डालने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

छात्रवृत्ति की रकम सीधे विद्यार्थियों के खाते में डालने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Tejinder Singh
Update: 2018-04-20 14:23 GMT
छात्रवृत्ति की रकम सीधे विद्यार्थियों के खाते में डालने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृष्णा शुक्ला। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों को परेशानी में नहीं डाल सकती है। मामला आरक्षित वर्ग के छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति की रकम समय पर शैक्षणिक संस्थानों को न मिलने से जुड़ा है। जिसको लेकर सिंहगढ एज्युकेशन सोसायटी के  संस्थापक अध्यक्ष के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जस्टिस भूषण गवई व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने याचिका पर गौर करने के बाद पाया कि सरकार पहले सीधे छात्रावृत्ति की रकम शैक्षणिक संस्थानों के खाते में जमा करती थी, लेकिन इस मामले में कथित घोटाले की शिकायत मिलने के बाद सरकार ने सीधे छात्रवृत्ति के लाभार्थी छात्र के खाते में फीस की रकम जमा करने का निर्णय लिया। 
राज्य के मुख्य सचिव को समाधान खोजने का दिया निर्देश 
एक समय-सीमा के तहत सरकार यह रकम छात्र के खाते में जमा करती थी लेकिन बाद में सरकार छात्रवृत्ति की रकम जमा करने की समय सीमा का पालन करने में विफलता दिखाने लगी। जिसके चलते शैक्षणिक सत्र पूरा होने के बाद भी छात्र के खाते में छात्रवृत्ति की रकम नहीं आती थी। इस दौरान छात्र किसी कारणवश शैक्षणिक संस्थान भी छोड़ देते है।(जहां वे पढाई करते थे) ऐसी स्थिति में शैक्षणिक संस्थान के प्रबंधन को संस्थान छोड़नेवाले छात्र से रकम वसूलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह रकम न मिलने के चलते शैक्षणिक संस्थान को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में कठिनाई होने लगी। कई संस्थान तो बंद होने की कगार में पहुंच गए। इसलिए हम चाहते है कि सरकार इस परेशानी का हल निकाले। 

शैक्षणिक संस्थानों को परेशानी में नहीं डाल सकती सरकार-हाईकोर्ट 
सरकार की नीति के तहत आरक्षित वर्ग के बच्चों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में इस आश्वासन के तहत प्रवेश दिया जाता है कि सरकार उनकी फीस का भुगतान करेगी।  अब सरकार को उसकी नीति का सही ढंग से पालन न होने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को मुश्किल में डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इसलिए हम चाहते है कि राज्य के मुख्य सचिव इस मामले से जुड़े संबंधित विभागों के सचिवों से बैठक करके इस समस्या का समाधान निकाले। जब इस समस्या का समाधान नहीं निकल आता है तब सीधे छात्रों के खाते में छात्रवृत्ति की रकम न भेजी जाए। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

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