दाल ने सरकार को लगाई 640 करोड़ की चपत

दाल ने सरकार को लगाई 640 करोड़ की चपत

Tejinder Singh
Update: 2018-06-09 12:25 GMT
दाल ने सरकार को लगाई 640 करोड़ की चपत

विजय सिंह ‘कौशिक’, मुंबई। पिछले दो वर्षों से राज्य में तुअर (अरहर) के भारी उत्पादन का असर सरकार के खजाने पर पड़ रहा है। तुअर का भारी स्टाक खपाने के लिए उसे खरीद दर से लगभग आधी कीमत पर बेचना पड़ रहा है। इससे राज्य सरकार को लगभग 400 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि जिनके तुअर नहीं खरीदे जा सकें, उनको प्रति क्विंटल 1 हजार रुपए के अनुदान के फैसले से 240 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यानि तुअर के चलते सरकारी खजाने पर 640 करोड़ रुपए का भार पड़ा है। 

सस्ती दाल बेचने से सरकार को 400 करोड़ का नुकसान
सरकार ने किसानों से 5450 रुपए प्रति कुंतल के समर्थन मूल्य पर तुअर की खरीद की थी। बीते 7 मई 2018 तक सरकार ने 30 लाख 348 किसानों से 28 लाख 88 हजार 918 क्विंटल तुअर खरीदी थी। बाद में खरीद की अवधि 31 मई तक बढ़ी दी गई थी। इससे यह आंकड़ा 31 लाख 22 हजार क्विंटल तक पहुंच गया, जबकि पिछले दो वर्षों की 69 लाख 72 हजार 785 क्विटल तुअर गोदामों में पड़ी है। इस तरह सरकार के पास तुअर का 1 करोड़ 45 लाख क्विंटल का स्टाक जमा हो गया। सरकारी तुअर खपाने के लिए राज्य सरकार ने कई उपाय किए।

तुअर के लिए अनुदान पर खर्च होंगे 240 करोड़ 
जेलों में कैदियों से लेकर आंगनवाड़ी में बच्चों तक को तुअर दाल खिलाई गई, लेकिन इससे ज्यादा खपत नहीं हो सकी, इसलिए राज्य सरकार ने सरकारी राशन की दुकानों पर तुअर दाल 35 रुपए प्रति किलों की दर से बेचने का फैसला लिया। इससे सरकार को करीब 400 करोड़ का घाटा होगा। विपणन विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि फिलहाल राज्य सरकार को 20 लाख क्विंटल तुअर दाल 2000 रुपए प्रति क्विंटल के घाटे से बेचनी है। इस लिहाज से सरकार को 400 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा। 

आघाडी सरकार की तुलना में कई गुना अधिक खरीद
अधिकारी ने बताया कि सरकार के सामने यह समस्या इसलिए भी आई, क्योंकि इसके पहले आघाडी सरकार के दौरान किसानों से समर्थन मूल्य पर बहुत कम मात्रा में तुअर खरीदी जाती थी। 2004 से 2014 तक केवल 3 लाख 25 हजार क्विंटल तुअर खरीदी गई, जबकि 2014 से अब तक राज्य सरकार ने किसानों से 1 करोड़ क्विंटल तुअर खरीदी है। अधिकारी ने बताया कि पहले 31 मार्च के बाद खरीद बंद कर दी जाती थी, लेकिन इस बार 31 मई तक किसानों से तुअर खरीदी गई। सरकार जिनके तुअर नहीं खरीद सकी है, उन्हें प्रति क्विंटल 1 हजार रुपए का अनुदान दे रही है। इस पर भी 260 करोड़ खर्च होंगे।   

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