शराबी जैसी है सरकार, सोने की मुर्गी बेचने जा रही - प्रकाश आंबेडकर
शराबी जैसी है सरकार, सोने की मुर्गी बेचने जा रही - प्रकाश आंबेडकर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने देश की आर्थिक व्यवस्था को संकट में बताते हुए कहा है कि केंद्र में सरकार आर्थिक मामले में शराबी जैसा काम कर रही है। शराबी शौक पूरा करने के लिए घर के बर्तन व कपड़े बेचने लगते हैं। सरकार भी वैसा ही कर रही है। भारत पेट्रोलियम जैसी 9 कंपनियां आर्थिक मामले में सोने की मुर्गी हैं, उन्हें बेचने का काम किया जा रहा है। सरकार इविल डिजाइन अर्थात बुराई का नियोजन कर रही है। आंबेडकर ने यह भी कहा कि विपक्ष के दल व नेता भी सरकार के विरोध में बोल नहीं पा रहे हैं। लिहाजा 24 जनवरी को महाराष्ट्र बंद का आव्हान किया गया है। इस बंद प्रदर्शन का नेतृत्व कोई राजनीतिक दल नहीं कर रहा है। विद्यार्थी व सामाजिक संगठन सरकार के विरोध में बंद प्रदर्शन करेंगे। सोमवार को प्रेस क्लब में मीट द प्रेस कार्यक्रम में आंबेडकर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के कुछ माह बाद ही कच्चे तेल का दाम घटा। सरकार ने 85 हजार करोड रुपये कच्चे तेल से बचाये। लेकिन पेट्रोलियम पदार्थाें के दाम कम नहीं हुए हैं। सरकार को नये बजट सत्र में 14 लाख करोड रुपये खर्च के लिए आवश्यक है। इकानामिक सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 11 लाख करोड रुपये जमा हो सकते हैं। लेकिन 3 लाख करोड रुपये जमा करने के संबंध में नियोजन नहीं दिखता है। जनगणना की परंपरागत व्यवस्था के बाद भी एनपआर लाने का औचित्य नहीं दिखता है। ओबीसी जनगणना की मांग से ध्यान भटकाया जा रहा है। नागरिकता संशोधन कानून से लेकर विविध मामले में सरकार ने सहमति नहीं ली है।
यह भी कहा
- आरएसएस ने अपना संविधान तैयार किया है। उसे लागू करने की तैयारी चल रही है। 2003 में लोकसभा में इस बारे में जानकारी रखी थी। लोकसभा के रिकार्ड में वह जानकारी है।
- नक्सलवाद के नाम पर विरोध की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। ब्रिटिश काल में भी आदिवासियों को दबाने का प्रयास हुआ था। उनके अधिकार क्षेत्र की संपति लूटन का प्रयास हुआ। अब भी हो रहा है। सरकार में हिम्मत हो तो वह नोट सार्वजनिक करें जो इंदिरा गांधी की सरकार के समय सूरजागढ़ को लेकर लिखा गया था।
-सावरकर को सम्मान के मामले में परिसंवाद होना चाहिए। सावरकर दोहरी भूमिका में दिखते हैं। क्रांतिकारी और क्रांति के विरोधी।
-महानगरीय क्षेत्रों में नाइट लाइफ काे मंजूरी देने में आपत्ति नहीं होना चाहिए। मुंबई में आवश्यक है।
- मुंबई में बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमा लगाने के बजाय वाडिया अस्पताल पर निधि खर्च करने के मत पर कायम हूं।बाबासाहब कहते थे मूर्ति से अधिक महत्व जीवित व्यक्ति का है।