हाईकोर्ट ने कहा- जिला न्यायालय में 20 दिन में पॉवर बैकअप और अग्निसुरक्षा प्रबंध उपलब्ध कराएं

हाईकोर्ट ने कहा- जिला न्यायालय में 20 दिन में पॉवर बैकअप और अग्निसुरक्षा प्रबंध उपलब्ध कराएं

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-20 06:47 GMT
हाईकोर्ट ने कहा- जिला न्यायालय में 20 दिन में पॉवर बैकअप और अग्निसुरक्षा प्रबंध उपलब्ध कराएं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) को आदेश दिया है कि वे अगले 20 दिनों के भीतर जिला न्यायालय में पॉवर बैक अप और अग्निसुरक्षा के प्रबंध करें। इसके पूर्व सुनवाई में पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता मनीष पाटील ने हाईकोर्ट में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया है कि जिला न्यायालय में लगा डीजल जनरेटर वर्ष 1968 का है और वह पूरी तरह आउट डेटेड है। नया जनरेटर खरीदने के लिए उन्हें 40 दिन का समय चाहिए। इसके अलावा जिला न्यायालय में अग्निसुरक्षा प्रबंधों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सारी तैयारियां पूरी करने के लिए उन्हें 40 दिन का समय लगेगा, लेकिन कोर्ट ने विभाग को 20 दिनों के भीतर सारे प्रबंध करने के आदेश दिए हैं। साथ ही प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश (पीडीजे) को सारे कामों पर नजर रखने को कहा है। साथ ही कार्यपूर्ति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा है।

यह है मामला

11 जून को लिफ्ट में फंसने से तीन महिला अधिवक्ताओं की हालत खराब हो गई थी। वक्त पर मदद मिलने के कारण उनके प्राण बच सके। याचिकाकर्ता एड. मनोज साबले ने विदर्भ के विविध न्यायालयों की अव्यवस्था के मुद्दे इस याचिका में उठाए हैं। जिला न्यायालय में हुए हादसे पर एड.साबले के  अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने भी कोर्ट में अर्जी दायर की, जिसमें उन्होंने जिला न्यायालय में व्याप्त असुविधाओं और जरूरी सुविधाओं की पूर्ति का मुद्दा उठाया। बताया कि जिला न्यायालय में  पॉवर बैकअप, स्ट्रेचर, डॉक्टर, नर्स, व्हील चेयर, फायर इस्टिंग्यूशर्स और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं बहुत जरूरी हैं। याचिकाकर्ता  ने दलील दी है कि जिला न्यायालय परिसर में जगह की इतनी कमी है कि यहां आपातकाल में न्यायालय परिसर में फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस तक दाखिल नहीं हो सकती। सिविल लाइंस स्थित जिला न्यायालय में पार्किंग की समस्या है। जगह कम है और वाहन अधिक। ऐसे में सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए नागपुर खंडपीठ के कार्यक्षेत्र में आने वाले विभिन्न जिला न्यायालय की सुविधाओं में सुधार करने का मुद्दा जनहित याचिका में उठाया गया है।

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