कृषि भूमि का पट्टा निरस्त करने पर यथा स्थिति का आदेश

कृषि भूमि का पट्टा निरस्त करने पर यथा स्थिति का आदेश

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-03 08:34 GMT
कृषि भूमि का पट्टा निरस्त करने पर यथा स्थिति का आदेश

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने उमरिया के मानपुर में कृषि भूमि का पट्टा निरस्त किए जाने पर यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने प्रमुख सचिव राजस्व, कलेक्टर उमरिया और तहसीलदार मानपुर को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। 

पूर्वज मानपुर में कृषि भूमि पर लंबे समय से खेती करते आ रहे

मानपुर निवासी गणेश प्रसाद गुप्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसके पूर्वज मानपुर में कृषि भूमि पर लंबे समय से खेती करते आ रहे हैं। लंबे समय से कब्जे के आधार पर 20 जून 1991 को तहसीलदार मानपुर ने उसे कृषि भूमि का पट्टा दिया था। उसे जमीन की ऋण पुस्तिका भी प्रदान की गई थी। उसका नाम भी खसरे में दर्ज किया गया। याचिका में कहा गया कि कलेक्टर उमरिया ने 13 जून 2011 को कृषि भूमि का पट्टा निरस्त कर दिया। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 26 अगस्त 2014 को कलेक्टर का आदेश निरस्त करते हुए पुन: गुण-दोष के आधार पर विचार करने का आदेश दिया था। याचिका में कहा गया कि 10 जुलाई 2018 को कलेक्टर ने बिना गुण-दोष के आधार पर पट्टा निरस्त कर दिया। इसके बाद फिर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता शंभूदयाल गुप्ता, आशा नागदेवे और जीएन सक्सेना के तर्क सुनने के बाद एकल पीठ ने पट्टा निरस्त करने पर यथा स्स्थिति का आदेश जारी कर अनावेदकों से जवाब-तलब किया है।

बीमा कंपनी दो माह के भीतर 4.28 लाख रुपए का भुगतान करें

जिला उपभोक्ता फोरम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को आदेशित किया है कि परिवादी को दो माह के भीतर 4.28 लाख रुपए का भुगतान करें। फोरम क्रमांक-एक के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव और सदस्य सुषमा पटेल की पीठ ने परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए 7 हजार रुपए भी देने का आदेश दिया है। गाडासरई डिंडोरी निवासी मोहम्मद गुलाम हसन कुरैशी की ओर से दायर प्रकरण में कहा गया कि 13 नवंबर 2016 को वह अपनी कार क्रमांक-एमपी-52-सीए-0571 से दोस्तों के साथ अमरकंटक गया था। वहां से लौटते समय ग्राम करंजिया डिंडोरी में उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया। उसने वाहन सुधार के लिए न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में 11 लाख 51 हजार रुपए का दावा प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावा निरस्त कर दिया कि कार का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था। अधिवक्ता आलोक हूंका के तर्क सुनने के बाद फोरम ने बीमा कंपनी को दो माह के भीतर 4.28 लाख रुपए भुगतान करने का आदेश दिया है।

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