हाईकोर्ट : फिर से लॉक डाउन रोकने जनहित याचिका, महामारी अधिनियम को बताया संविधान के खिलाफ 

हाईकोर्ट : फिर से लॉक डाउन रोकने जनहित याचिका, महामारी अधिनियम को बताया संविधान के खिलाफ 

Tejinder Singh
Update: 2020-12-02 14:23 GMT
हाईकोर्ट : फिर से लॉक डाउन रोकने जनहित याचिका, महामारी अधिनियम को बताया संविधान के खिलाफ 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार को दोबारा लॉकडाउन लागू करने अथवा इसे बढाने से रोकने का निर्देश देने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। यह यचिका एक संगठन के अध्यक्ष हर्षल मिरासी ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि महामहारी अधिनियम-1897 संविधान के खिलाफ है। यह मौलिक अधिकारों का हनन करता है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। याचिका में मांग की गई है कि मास्क न पहननेवालों पर मुंबई महानगरपालिका द्वारा जुर्माना लगाने पर रोक लगाई जाए। याचिका में न्यूज चैनलों को भी नियंत्रित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।   

याचिका में दावा किया गया है कि मीडिया कोरोना के मरीज व मौत के आकड़ों को बढ़ाचढ़ा कर पेश कर रहा है। अन्य कारणों से होनेवाली मौत को भी कोरोना के चलते होनेवाली मौत के आकड़े दर्शाया जा रहा है। जिससे लोगों में दहशत पैदा की जा रही है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना को लेकर मीडिया में आनेवाली खबरे लोगों को गुमराह कर रही हैं। वैसे भी कोरोना के चलते लोग काफी परेशान व चिंतित है। इस मामले में जिस तरह से राज्य का स्वास्थ्य तंत्र काम कर रहा है वह बेहद चिंताजनक है। याचिका के मुताबिक पहले कैंसर के मरीज को ही मास्क पहनने की सलाह दी जाती है अब इस कोरोना में सबकों को मास्क पहने के लिए कहा जा रहा है। जो लोगों को मनोवैज्ञानिक रुप से प्रभावित कर रहा है।

याचिका में करोना को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। आखिर यह कैसी बीमारी है जिसकी दवा उपलब्ध नहीं फिर भी इस बीमारी से ग्रसित लोगों को ठीक किया जा रहा है। 

सुनवाई के लिए कोर्ट में 1 लाख जमा करने का निर्देश

बुधवार को यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णा की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने याचिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को एक बार जेजे व केईएम अस्पताल का दौरा करना चाहिए। जहां उसे कोरोना के मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगेगा। खंडपीठ ने कहा कि हमे यह याचिका आधारहिन दिख रही है। जिसकी सुनवाई से अदालत का समय नष्ट होगा। फिर भी याचिकाकर्ता यदि चाहते हैं कि अदालत इस याचिका को सुने तो पहले वे कोर्ट में एक लाख रुपए जमा करे। इसके बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी। 

Tags:    

Similar News