टैंकर में कुएं का पानी, बिना जांच पड़ताल के हो रही जलापूर्ति

टैंकर में कुएं का पानी, बिना जांच पड़ताल के हो रही जलापूर्ति

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-18 09:17 GMT
टैंकर में कुएं का पानी, बिना जांच पड़ताल के हो रही जलापूर्ति

चंद्रकांत चावरे,नागपुर। नागपुर महानगर पालिका और ओसीडब्ल्यू मिलकर शहर में जलापूर्ति कर रहे हैं। शहर में 342 टैंकर नॉन नेटवर्क एरिया और 72 टैंकर नेटवर्क एरिया में चल रहे हैं। इसके अलावा ओसीडब्ल्यू के नलों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। शहर के 67 जलकुंभों से शहरभर में जलापूर्ति की जाती है। ओसीडब्ल्यू और मनपा के वैध टैंकरों के अलावा भी शहर में 40 से अधिक टैंकर अवैध रूप से दौड़ रहे हैं। इन पर प्रशासन का किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं है। प्रशासन ने इन टैंकर मालिकाें को जलापूर्ति करने का अधिकार नहीं दिया है। केवल कमाई करने के उद्देश्य से ये टैंकर चलाए जा रहे हैं। इसके लिए कुएं के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पानी की गुणवत्ता की न जांच-पड़ताल की जाती है और न ही किसी के पास गुणवत्ता प्रमाणपत्र है। ये लोग खुलेआम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं प्रशासन मौन धारण कर तमाशबीन बना हुआ है।  

500 से 800 रुपए प्रति टैंकर 
अवैध रूप से टैंकर से पानी बेचने वालों का कारोबार जमकर चल रहा है। शहर के अनेक इलाकों में टैंकरों के माध्यम से कुएं का पानी दिया जा रहा है। पूर्व नागपुर के अनेक स्थानों पर यह नजारा आम बात है। अकेले वाठोड़ा और आसपास के इलाकों में टैंकर से पानी बेचने वालों की संख्या 10 बतायी जा रही है। इसके अलावा भांडेवाड़ी, पारडी, गोरेवाड़ा समेत उत्तर व पूर्व नागपुर के कुछ इलाकों में ऐसे टैंकर चल रहे हैं। कुल टैंकरों की अनुमानित संख्या 40 के करीब है। जरूरतमंदों से एक टैंकर पानी के बदले 500 रुपए से 800 रुपए तक वसूले जाते हैं। 

स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ 
अवैध रूप से पानी बेचने का कारोबार करने वाले जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पानी बेचने के लिए फूड एंड ड्रग विभाग का लाइसेंस और रिजनल हेल्थ लेबोरेटरी का प्रमाणपत्र जरूरी होता है। लाइसेंस लेने के बाद भी हर छह महीने में पानी की गुणवत्ता जांच अनिवार्य है। इसके लिए पानी के स्रोत के सैंपल देने पड़ते हैं लेकिन अवैध रूप से पानी के टैंकर चलाने वाले इनमें से कोई भी प्रक्रिया पूरी नहीं करते। इसलिए उनके द्वारा की गई जलापूर्ति मानकों के अनुसार नहीं होती। ऐसे पानी से बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। 

प्लाटों पर खुदवाया कुआं और बोरवेल 
शहर में पानी की किल्लत को देखते हुए कुछ लोगों ने अपने प्लाटों पर बड़े-बड़े कुएं व बोरवेल खुदवाए हैं। यहां एक बड़ा मोटरपंप लगा होता है। इसी से टैंकर भरे जाते हैं। पानी का कारोबार करने वाले टैंकर मालिकाें के खुद के कुएं हैं। वहीं से पानी भरकर लोगों को दिए जाते हैं। जिनका कुआं होता है, वे कभी कुएं की सफाई नहीं करवाते। कुएं में ब्लीचिंग पाउडर या फिटकरी डाल देते हैं। उन्हें लगता है कि इतना करने से पानी शुद्ध हो जाता है। जबकि महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के मानकों के अनुसार पानी में कई तरह के तत्व होते हैं, जिनके होने या न होने से स्वास्थ्य पर असर होता है। इसलिए पानी की जांच प्रयोगशाला से करानी चाहिए।  
 

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