जीएमसीएच में असहाय बुजुर्गों का दर्द : कौन हमारा दर्द बंटाए, कौन हमारा थामे हाथ

जीएमसीएच में असहाय बुजुर्गों का दर्द : कौन हमारा दर्द बंटाए, कौन हमारा थामे हाथ

Tejinder Singh
Update: 2019-11-19 15:41 GMT
जीएमसीएच में असहाय बुजुर्गों का दर्द : कौन हमारा दर्द बंटाए, कौन हमारा थामे हाथ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जीएमसीएच के नेत्र विभाग के पास पार्किंग में शाम पांच बजे के आसपास एक असहाय बुर्जुग खाना मांगते नजर आया। वार्ड नंबर 23 में उपचार के बाद उन्हें स्वस्थ बताकर बाहर भेज दिया गया। यूं तो मेडिकल में निराधार लोगों के उपचार की व्यवस्था है और हर दिन ऐसे दर्जनों लोग मेडकिल पहुंचते भी हैं, लेकिन उपचार के बाद उन्हें बगैर किसी पर्याय व्यवस्था के छोड़ देना अमावनीय है। पिछले सप्ताह ही कोल्हापुर के सिविल अस्पताल के तीन मरीजों को सुनसान इलाके में असहाय छोड़ने और उनमें दो मौत होने के कारण अस्पताल के दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।

नाम बताने में भी असमर्थ

लगभग 80 वर्ष के बुजुर्ग असहाय ही नहीं भूखे और लगभग नहीं के बराबर कपड़ों में थे और लगातार खाना मांग रह थे। जानकारी के अनुसार बुजुर्ग का उपचार वार्ड नंबर 23 में किया गया था और इंटर्न ने अटेंडेंट को उसे बाहर पहुंचा आने के लिए कहा था। बुजुर्ग भूखा और काफी कम कपड़ों में था, जो इस ठंड के मौसम में खतरनाक साबित हो सकता है।

सवाल -बेसहारा मरीज को कहां भेजे

एशिया के सबसे बड़े अस्पताल में प्रतिदिन लगभग छह हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। अस्पताल में हमेशा क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। ऐसे में विभागों को नए मरीज को जगह देने के लिए ठीक हो गए मरीजों को डिस्चार्ज करना पड़ता है। इसी दबाव के कारण इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। हालांकि अस्पताल में पहुंचने वाले सभी मरीजों को उपचार उपलब्ध कराया जाता है। 

सोशल विभाग की जिम्मेदारी

असहाय व ऐसे मरीज जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है उनके उपचार के बाद आगे की व्यव्स्था सोशल वर्कर विभाग को करनी रहती है। शहर ऐसे लोगों के लिए काफी कम केंद्र होने के कारण उनके सामने भी उनकी देखभाल की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए, यह बड़ा सवाल होता है। शहर में फिलहाल असहाय बुजुर्गाें की देखरेख करने वाली दो संस्थाएं ऊंटखाना स्थित होम फॉर एज्ड और काटोल स्थित शांति भवन ओल्ड एज होम हैं। दोनों में ही पहले से काफी संख्या में बुजुर्ग व असहाय लोग हैं और नई भर्ती मुश्किल है।
 
संबंधित वार्ड और सोशल वर्कर की जिम्मेदारी

मेडिकल के सुपरिटेंडेंट डॉ अविनाश गांवडे के मुताबिक बुजुर्ग को सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया है। ऐसे मामलों में वार्ड को सोशल विभाग से संपर्क करना चाहिए और बगैर उनकी सहमति के कदम नहीं बढ़ाना चाहिए। भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मेडिकल के सभी विभागों में बेहतर समन्यव पर जोर दिया जाएगा।

मदद के लिए बढ़ाया हाथ

अस्पताल का एक दयालु कर्मचारी ने भूखे बुजुर्ग के लिए न केवल खाने की व्यवस्था की बल्कि कंबल और चादर भी खरीदकर लाया। उसने लोगों की मदद से पैसे जमाकर बुजुर्ग की मदद की।
 
मरीजों को असहाय छोड़ने वाले निलंबित

कोल्हापुर में मिरज के सिविल अस्पताल में तीन मरीजों को सुनसान जगह पर असहाय छोड़ देने के मामले में अस्पताल सोशल सुपरिटेंडेंट अनिल नरसंगिकर और कॉन्ट्रेक्चुअल कनसर्वे वर्कर सागर सांलुखे को संस्पेड कर दिया गया। यह वाकया 2 नवंबर की है और तीन में से एक मरीज की उसी रात मौत हो गई जबकि दूसरे की सांगली मेडकिल अस्पताल में उपचार के दौरान  12 नवंबर को मौत हो गई। तीसरे का उपचार चल रहा है। सुनसान जगह पर असहाय पड़े तीनों मरीजों को कुछ लोगों ने सांगली के मेडिकल अस्पताल में पहुंचाया था।  

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