कोर्टरूम में भीड़ के मद्देनजर न्यायमूर्ति ने कहा - कोरोना नियमों का पालन न हुआ तो शुरु करेंगे ऑनलाइन सुनवाई

कोर्टरूम में भीड़ के मद्देनजर न्यायमूर्ति ने कहा - कोरोना नियमों का पालन न हुआ तो शुरु करेंगे ऑनलाइन सुनवाई

Tejinder Singh
Update: 2021-02-18 15:24 GMT
कोर्टरूम में भीड़ के मद्देनजर न्यायमूर्ति ने कहा - कोरोना नियमों का पालन न हुआ तो शुरु करेंगे ऑनलाइन सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संकट बढने की आहट के बीच बांबे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम पटेल ने अपने कोर्ट कक्ष में भीड़ नियंत्रण को लेकर नोटिस जारी किया है। नोटिस में न्यायमूर्ति ने  कहा है कि यदि उनके कोर्ट कक्ष में आनेवाले वकीलों व पक्षकारों ने सामाजिक दूरी व मास्क पहनने से संबंधित कोरोना से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया तो वे अपने कोर्ट में प्रत्यक्ष की बजाय ऑनलाइन सुनवाई करेंगे। न्यायमूर्ती पटेल कोर्ट कक्ष 37 में बैठते हैं। न्यायमूर्ति पटेल ने कहा है कि पक्षकार व वकील कोरोनी रोकथाम से जुड़े सुरक्षा उपायों का पालन नहीं कर रहे। जबकि कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कोरोना की रोकथाम से जुड़े नियमों का कडाई से पालन किया जाए। कोर्ट कक्ष के बाहर एक पुलिसकर्मी को भी तैनात किया गया है। फिर भी कोर्टकक्ष के बाहर भीड़भाड दिख रही है। यदि यह भीड़ कम नहीं हुई तो मैं अपने कोर्ट कक्ष में सिर्फ ऑनलाइन सुनवाई करुंगा। 


हाईकोर्ट ने दिया सिसोदिया की सेहत को लेकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश 

बांबे हाईकोर्ट ने पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत दिनेश सिंह की बेटी पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह के पति जय सिंह सिसोदिया (69) की सेहत को लेकर रिपोर्ट मंगाई है। हाईकोर्ट ने ठाणे के सरकारी अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख से श्री सिसोदिया की स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट मंगाई है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करने के लिए कहा गया है कि क्या सिसोदिया चेक पर हस्ताक्षर करने और अपने जीवन की बुनियादी जरुरतों को पूरा करने में सक्षम हैंॽ अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि क्या वे किसी बीमारी से पीड़ित हैंॽ हाईकोर्ट ने स्थानीय उपजिलाधिकारी को भी इस विषय पर अलग से रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। श्री सिसोदिया को फिलहाल वसई के सनसाइन वेलनेस सेंटर में रखा गया है। जहां उनका इलाज चल रहा है। कोर्ट ने वेलनेस सेंटर को ठाणे के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों को सिसोदिया की सारी मेडिकल रिपोर्ट दिखाने को कहा है। न्यायमूर्ति एए सैय्यद व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने यह निर्देश राजकुमारी रत्नासिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में राजकुमारी सिंह ने खुद को अपने पति की संपत्ति का कानूनी संरक्षक नियुक्त किए जाने की मांग की है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से कांग्रेस की सांसद रही रत्नासिंह ने याचिका में दावा किया है उनके पति की सेहत ठीक नहीं है। वे शुगर से पीड़ित हैं। उन्हें ड्रग्स व शराब की लत है। नशे के चलते उनकी शारिरिक सनसनाहट चली गई है। वे बगैर की किसी के मदद के चल भी नहीं सकते। वे कई बीमारियों से पीड़ित हैं। याचिका के मुताबिक उनके पति राजस्थान के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। वे महाराणा प्रताप के वंशज हैं। याचिका में राजकुमारी ने कहा है कि मेरे ससुर का साल 2017 में निधन हो गया है जबकि सास ब्रिटिश नागरिक हैं और वे यूके में रहती है। ज्यादा उम्र के चलते उनकी भी शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है। याचिका में कहा गया था कि उनके पति की पूरे भारत सहित विदेश में चल व अचल संपत्ति है। मेरे ससूर के भी म्यूचल फंड, शेयर, गहने, पेंटिंग व दूसरी संपत्तियां भी है, जिन्हें सुरक्षित रखने व पति इलाज के खर्च की जरुरत पूरी करने की लिए जरुरी है कि मुझे अपने पति व उनकी संपत्ति का कानूनी संरक्षक नियुक्त किया जाए। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपने बेटों को भी याचिका  में शामिल करने को कहा था। 

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