आरटीआई से ही खुली आरटीई के लिए इस्तेमाल लेटरहेड की पोल, मंत्रालय से मांगी थी जानकारी
आरटीआई से ही खुली आरटीई के लिए इस्तेमाल लेटरहेड की पोल, मंत्रालय से मांगी थी जानकारी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। फर्जी लेटरहेड के आधार पर मंत्रालय के विभिन्न विभागों से सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने के मामले का खुलासा हुआ है। मजे कि बात यह कि फर्जी लेटरहेड पर आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाली इस संस्था के फर्जीवाडे का खुलासा भी आरटीआई के जरिए हुआ है। दरअसल ‘सिटीजन जस्टीस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ नाम की संस्था के लेटरहेड पर मंत्रालय के विभिन्न विभागों से आरटीआई के तहत लगातार जानकारी मांगी जा रही थी। संस्था के लेटरहेड में पंजीकरण क्रमांक के तौर पर एम.एच 823/2004 अंकित था। इससे परेशान मंत्रालय के एक अधिकारी ने एक आरटीआई कार्यकर्ता की मदद से धर्मदाय आयुक्त कार्यालय से इस संस्था के बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि यह संस्था धर्मदाय आयुक्त के यहां पंजीकृत नहीं है और संस्था के लेटरहेड पर दर्ज पंजीकरण क्रमांक से हमारा कोई संबंध नहीं है।
गैर पंजीकृत संस्था ने किया फर्जी पंजीकरण क्रमांक का इस्तेमाल
फर्जी लेटरहेड पर अब तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, कामकार मंत्री, मुख्य सचिव सहित विभिन्न विभागों को दर्जनों पत्र लिखे गए हैं। केवल कामगार विभाग में ही 35 से अधिक आरटीआई आवेदन किया गया है। कामगार विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि दरअसल अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के लिए यह फर्जी संस्था आरटीआई का इस्तेमाल कर रही है।