कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों को बगैर परीक्षा मिले एमडी-एमएस की डिग्री- जनहित याचिका दाखिल

कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों को बगैर परीक्षा मिले एमडी-एमएस की डिग्री- जनहित याचिका दाखिल

Tejinder Singh
Update: 2020-06-25 12:49 GMT
कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों को बगैर परीक्षा मिले एमडी-एमएस की डिग्री- जनहित याचिका दाखिल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना के चलते ड्यूटी में लगे रेजिडेंट डॉक्टरों को मेडिकल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एमडी व एमएस की परीक्षा से छूट दी जाए। डॉक्टरों को  बिना परीक्षा के ही एमडी व एमएस की डिग्री प्रदान कर दी जाए। इस तरह की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई हैं। याचिका में कोरोना से मरनेवाले डॉक्टरों को शहीद का दर्जा दिए जाने का भी आग्रह किया गया है। यह याचिका अधिवक्ता अपर्णा वटकर के मार्फत पत्रकार केतन तिरोडकर ने दायर की है। 

याचिका के मुताबिक 15 जुलाई से 20 अगस्त के बीच एमडी व एमएस की परीक्षा होने वाली है। याचिका के अनुसार एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करनेवाले डॉक्टरों को कोरोना मरीजों के इलाज की ड्यूटी में लगाया गया है। इन डॉक्टरों को अपनी पीजी की पढ़ाई करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है। क्योंकि कोरोना के दौरान इन डॉक्टरों की कड़ी ड्यूटी लगाई गई थी। पर्याप्त स्टॉफ न होने के चलते इनकी ड्यूटी और मुश्किल हो गई। नियमानुसार पीजी के परीक्षार्थियों को 45 दिन का समय तैयारी के लिए नहीं मिल पाया है। 

याचिका के अनुसार कई यूरोपीय देशों में कोरोना महामारी के कारण मेडिकल के पीजी कोर्स की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। इटली में तो बिना परीक्षा के कोरोना की ड्यूटी में लगे डॉक्टरों को एमडी व एमएस की डिग्री देने का निर्णय किया गया है। पर भारत में ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है। चूंकि डॉक्टरों को एमडी व एमएस की पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया है, इसलिए उन्हें परीक्षा से छूट दी जाए। याचिका में कहा गया है कि डॉक्टरों का काम पुलिस से अधिक मुश्किल है। वे लगातार कोरोना मरीज के संपर्क में रहते हैं। लिहाजा उन्हें भी पुलिस की तरह कोरोना के चलते मौत का शिकार होने पर शहीद का दर्जा और उचित मुआवजा दिया जाए। हाईकोर्ट  ने अगले सप्ताह याचिका पर सुनवाई रखी है और राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा है। 

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