पत्नी पीड़ित पहुंचे तो सब मिलकर हंस पड़े, अटलजी ने मूर्तिकार से कहा- मैं एक पोजीशन में नहीं बैठ सकता

पत्नी पीड़ित पहुंचे तो सब मिलकर हंस पड़े, अटलजी ने मूर्तिकार से कहा- मैं एक पोजीशन में नहीं बैठ सकता

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-17 06:40 GMT
पत्नी पीड़ित पहुंचे तो सब मिलकर हंस पड़े, अटलजी ने मूर्तिकार से कहा- मैं एक पोजीशन में नहीं बैठ सकता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अटल बिहारी वाजपेयी की नागपुर से जुड़ी अविस्मरणीय यादें हैं। विधायक गिरीश व्यास ने स्मृति ताजा करते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक बार धंतोली स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचे। नितीन गडकरी के साथ वहां मैं भी था। इसी दौरान पत्नी पीड़ित अन्याय निवारण समिति के पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल निवेदन लेकर उनसे मिलने पहुंच गया। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें ज्ञापन सौंपा। पत्र पर संस्था का नाम देख अटलजी थोड़े हैरान हुए। निवेदन लेकर उन्होंने पहले पास बैठे भाजपा नेताओं की ओर देखा और फिर पूछा, आप मुझसे पूछ रहे हैं? अटलजी के इतना कहते ही सभी उनकी ओर देखने लगे। माजरा समझ में आते ही सब हंस पड़े। मेरे पिता जनसंघ के पू‌र्व अध्यक्ष पंडित बच्छराज व्यास से उनका घनिष्ठ संबंध था। उनकी मृत्यु के पश्चात नागपुर में अक्सर उनकी अगवानी का मौका मुझे मिला। मेरी माताजी को वे भाभीजी कहकर बुलाते थे। 

कस्तूरचंद पार्क पर एक सभा के दौरान नितीन गडकरी ने उन्हें तलवार भेंट की थी। इसके बाद इसी मैदान पर दूसरी सभा में श्री गडकरी ने हनुमानजी की गदा भेंट किया। इस पर चुटकी लेते हुए अटल जी ने कहा, आपका तलवार से मन नहीं भरा तो अब मुझे गदा थमा दिया। 

जब वे 60 वर्ष के थे, तब नागपुर में एक सभा हुई। एक पदाधिकारी ने सलाह दी थी कि अब आपकी रिटायरमेंट की उम्र हो चुकी है। अटल जी ने विनोदी अंदाज में कहा-मैं रिटायर नहीं, री-टायर हो रहा हूं। नए उत्साह व जोश के साथ काम करने वाला हूं। 
 

मैं एक पोजीशन में नहीं बैठ सकता 
शहर के एक मूर्तिकार ने उनकी मूर्ति बनाने की इच्छा जताई तो मैंने उनसे मुलाकात करा दी। वे तैयार हो गए। कुछ समय तक तो एक पोजीशन में बैठे रहे, बाद में मूर्तिकार से कहा-मैं इतनी देर तक एक पोजीशन में बैठ नहीं सकता, ऐसा करो, जब-जब नागपुर आऊंगा तो मुझे देखकर मूर्ति बना लिया करना। 

महापौर का चुनाव हारने पर थपथपाई पीठ
वर्ष 1985 में पहली बार मैं नगरसेवक बना। 1987 में महापौर पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। अटलजी तब नागपुर पहुंचे थे। ये सुन मेरी खूब पीठ थपथपाई और कहा-इसी तरह लड़ते रहो। 

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