संचालक बनने से पहले ही मुंढे बन गए सीईओ

संचालक बनने से पहले ही मुंढे बन गए सीईओ

Tejinder Singh
Update: 2020-07-04 10:26 GMT
संचालक बनने से पहले ही मुंढे बन गए सीईओ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिडेट यानी स्मार्ट सिटी की बैठक 10 जुलाई को होनी है। बैठक के एजेंडे में मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे के संचालक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में चर्चा का विषय रखा गया है। महापौर संदीप जोशी ने आयुक्त पर पलटवार किया है कि जब संचालक ही नहीं बने, तो सीईओ कैसे बन गए। शुक्रवार को महापौर ने अपने कक्ष में पत्रकारों से बात करते हुए कई बिंदुओं को उजागर किया। मनपा का "घमासान' थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से लेकर महापौर, नगरसेवकों के निशाने पर मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे हैं। अब नई बहस स्मार्ट सिटी की बैठक का एजेंडा जारी होते ही छिड़ गई है। 10 जुलाई को होने वाली स्मार्ट सिटी की बैठक के एजेंडे में संचालक पद पर नियुक्ति के संदर्भ में चर्चा का विषय शामिल किया गया है। इसकी वजह से विरोधियों को फिर मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। 


आरोप...कर्मचारियों को नौकरी से हटाकर संचालक मंडल के निर्णय को दरकिनार किया

महापौर ने बैठक के एजेंडा के हवाले से कहा कि मुंढे स्मार्ट सिटी के सीईओ नहीं हैं। फिर भी कर्मचारियों को नौकरी से हटाकर संचालक मंडल के निर्णय दरकिनार किया है। अपने हस्ताक्षर से बैंक से 20 करोड़ रुपए एक कंपनी को भुगतान किए हैं। महापौर जोशी ने बताया कि संचालक मंडल की बैठक का एजेंडा जारी हुआ है। इसमें पांचवें क्रमांक पर नवनियुक्त मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे की स्मार्ट सिटी संचालक मंडल में नियुक्ति के संदर्भ में चर्चा, मंजूरी तथा नियुक्ति का विषय रखा गया है। उनके संचालक मंडल में नियुक्ति का विषय रखा गया है, इसका अर्थ स्पष्ट है कि फिलहाल संचालक नहीं है। जब संचालक ही नहीं है, तो फिर सीईओ कैसे बन गए, यह सवाल खड़ा हो गया है। 

एजेंडा में सीईओ की नियुक्ति का भी विषय

एजेंडा में स्मार्ट सिटी के सीईओ के संबंध में चर्चा, मंजूरी और नियुक्ति का भी विषय है। जब सीईओ की नियुक्ति होनी ही है, फिर सीईओ के अधिकार का प्रयोग कर बिल का भुगतान करने का अधिकार किसने दिया, यह भी सवाल महापौर ने उठाया है। सीईओ पद रिक्त हो जाने पर डिप्टी सीईओ को प्रभार देने का नियम है। कंपनी एक्ट के अनुसार सीईओ फुलटाइम होना चाहिए। उस पर दूसरे किसी काम की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए। आयुक्त की जिम्मेदारी रहते हुए सीईओ का पदभार संभालने की क्या मजबूरी थी, इसका आयुक्त से महापौर ने जवाब मांगा है।

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