अनुसूचित जाति में शामिल धर्मांतरित बौद्धों की अलग जनगणना करें

अनुसूचित जाति में शामिल धर्मांतरित बौद्धों की अलग जनगणना करें

Tejinder Singh
Update: 2020-03-15 11:46 GMT
अनुसूचित जाति में शामिल धर्मांतरित बौद्धों की अलग जनगणना करें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ओबीसी की जैसी जनगणना होगी, वैसी ही बौद्ध धर्म की जनगणना की जाए। उनका समावेश अनुसूचित जाति में किया जाए। यह मांग विधायक प्रकाश गजभिये ने शनिवार को विधान परिषद में की। गजभिये ने कहा कि, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने 1956 में धर्मांतरण कर बुद्ध धम्म की दीक्षा ली। इसके बाद जाति प्रमाणपत्र में बौद्ध लोग बौद्ध लिखने लगे। बावजूद बौद्ध समाज को केंद्र सरकार की किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। यह बड़ा अन्याय है। पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने 1990 में संविधान संशोधन किया। उसमें बौद्ध जाति उल्लेखित की गई, किन्तु केंद्र सरकार की सुविधाएं अभी भी नहीं िमल रही हैं। इसके लिए हमारे लोगों ने प्रयास किया। उन्होंने कहा कि, 1990 के संविधान संशोधन अनुसार देश के बौद्धों को आरक्षण और सुविधाएं दी जाएं। बौद्धधर्मियों की अनुसूचित जाति में जनगणना नहीं होती है। जिस कारण विधानसभा व लोकसभा का प्रतिनिधित्व कम हुआ है। 48 विधायक होने चाहिए थे, वहां 25 विधायक हैं। 9 सांसद की बजाए 5 सांसद हैं। यह प्रतिनिधित्व भी बढ़ सकता है। बौद्धधर्मियों का समावेश अनुसूचित जाति में किया जाए। इस अवसर पर सामाजिक न्यायमंत्री धनंजय मुंडे ने जवाब में कहा कि, धर्मांतरित बौद्धों को न्याय देने के लिए जल्द निमंत्रित विधायकों की बैठक ली जाएगी। उसमें त्वरित निर्णय लिया जाएगा। 
 

कायम बिना अनुदानित शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय को अनुदान दें

राज्य के कायम बिना अनुदानित शारीरिक शिक्षण महाविद्यालयों को जल्द से जल्द अनुदान देने की मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक प्रकाश गजभिये ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से विधान परिषद में की। राज्य और दिल्ली के एनसीटी की मान्यता से शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय विद्यापीठ से संलग्न है। 1994 से राज्य में पहले क्रमांक के खिलाड़ी तैयार करने का काम शुरू है। इस विद्यापीठ अंतर्गत महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को न्याय न देकर भेदभाव किया जा रहा है। प्रकाश गजभिये ने आरोप लगाया कि, इस महाविद्यालय के बाद मान्यता मिले महाविद्यालयों को पिछली सरकार ने अनुदान दिया है। हाईकोर्ट द्वारा निर्णय देने के बावजूद राज्य के शारीरिक शिक्षण महाविद्यालयों को न्याय नहीं दिया गया है। उन्हें अनुदान पर नहीं लिया गया। जिस कारण राज्य के 52 शारीरिक िशक्षण महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को अधिवेशन खत्म होने से पहले न्याय दिया जाए। चर्चा का जवाब देते हुए उच्च तंत्रशिक्षण मंत्री उदय सामंत ने कहा कि, विधायक प्रकाश गजभिये के साथ बैठक की जाएगी। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, उसकी पड़ताल की जाएगी। सरकार ने क्या प्रतिज्ञापत्र दिया है, उसे भी देखा जाएगा। सकारात्मक विचार कर बैठक में निर्णय लिया जाएगा।  
 

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