डेयरियों को शहर से हटाने की कार्रवाई पर रोक से एनजीटी का इंकार
डेयरियों को शहर से हटाने की कार्रवाई पर रोक से एनजीटी का इंकार
डेयरियों से फैल रहे प्रदूषण के मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए ट्रिब्यूनल की मुख्यपीठ का फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मुख्यपीठ नई दिल्ली ने जबलपुर शहर में प्रदूषण फैला रहीं डेयरियों को बाहर करने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। अपने फैसले में ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य जस्टिस एसके सिंह और विशेषज्ञ सदस्य सिद्धांत दास ने कहा कि डेयरियां शहर की सीमा के बाहर हों और बाढ़ वाले क्षेत्रों में एक भी डेयरी नहीं होना चाहिए। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग से 200, राज्य मार्ग से 100 और नदी व तालाब से उसकी दूरी 5 सौ मीटर होना चाहिए। ट्रिब्यूनल ने शासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को कहा है कि वे डेयरियों व गौशाला को लेकर बनाई गई गाईडलाईन तथा नियमों का पालन करें। इस पर नाकामी होती है तो जिम्मेदार अधिकारी की वार्षिक गोपनीय चरित्रावली में उनकी नाकामी दर्ज की जाए।
गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे द्वारा वर्ष 1998 में एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर करके नगर निगम सीमा में नियम विरुद्ध तरीके से डेयरियों के संचालन और उनसे नदियों में हो रहे प्रदूषण को चुनौती दी थी। 17 अगस्त 2017 को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के सामने यह तथ्य आया कि यह मामला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है और उसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में दिए गए फैसले के मुताबिक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में होना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने यह मामला एनजीटी को भेजा था, ताकि वहां पर सुनवाई हो सके। इस जनहित याचिका के साथ ट्रिब्यूनल में निजी डेयरी संचालकों के मामलों पर भी सुनवाई एकसाथ की जा रही थी। मंच के अध्यक्ष डॉ. नाजपाण्डे के अनुसार यदि एनजीटी के इस आदेश का पालन नहीं किया जाता तो एक माह बाद वे अवमानना याचिका दायर करेंगे।