जिले में आवास योजना का कार्य कछुआ गति से, 60 प्रतिशत लक्ष्य अभी भी अधूरा

जिले में आवास योजना का कार्य कछुआ गति से, 60 प्रतिशत लक्ष्य अभी भी अधूरा

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-15 11:11 GMT
जिले में आवास योजना का कार्य कछुआ गति से, 60 प्रतिशत लक्ष्य अभी भी अधूरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार की आवास योजना अंतर्गत मंजूर किए गए घरों के निर्माणकार्य की धीमी गति से चल रहा है 3 साल बाद भी 60 प्रतिशत लक्ष्य अब तक अधूरा है। वर्ष 2016 से 2019 तक प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत 16034 घरों को मंजूरी दी गई। इसमें से मात्र 6512 घरों का निर्माणकार्य पूरा हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में 2571 घर मंजूर किए गए। इसमें से एक भी घर पूरा नहीं हो पाया। गरीबों की पूरी कमाई परिवार का पालन-पोषण करने में खर्च हो जाती है। जीवन में खुद का घर बनाने का सपना पूरा नहीं कर पाते। उनके इस सपने को पूरा करने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना और महाराष्ट्र सरकार की ओर से शबरी आवास योजना और रमाई आवास योजना चलाई जाती है।

किश्त में दी जाती है राशि
प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत गरीबी रेखा के परिवारों को घर दिए जाते हैं। शबरी अावास योजना और रमाई आवास योजना के माध्यम से अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को घर बनाने के लिए अनुदान दिया जाता है। इन योजनाओं अंतर्गत 1 लाख, 20 हजार रुपए अनुदान दिया जाता है। पहली किश्त 25 हजार रुपए एडवांस के रूप में दी जाती है। जोता बनने के बाद दूसरी किश्त 35 हजार, कॉलम बनाकर दीवार खड़ी करने के बाद तीसरी किश्त 35 हजार और स्लैब डालकर निर्माणकार्य पूरा होने के बाद अंतिम किश्त 25 हजार रुपए दी जाती है। शौचालय के लिए अतिरिक्त 12 हजार रुपए अनुदान दिया जाता है। शौचालय का निर्माणकार्य पूरा हाेने के बाद ही अंतिम किश्त अदा की जाती है। अनुदान की रकम सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है।

विलंब के लिए 90 दिन की छूट
मंजूर किए गए आवास का निर्माण कालावधि 1 वर्ष है। किसी कारणवश विलंब होने पर 90 दिन की छूट दी जाती है। इसके बाद भी निर्माणकार्य अधूरा रहने पर लाभार्थी को 3 नोटिस दिए जाते हैं। लाभार्थी का प्रतिसाद नहीं मिलने पर मंजूरी रद्द कर दी जाती है। 

वर्ष 2014-15 में राज्य में प्रथम रहा नागपुर
प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत घरों के निर्माणकार्य में वर्ष 2014-15 में नागपुर जिला महाराष्ट्र में प्रथम स्थान पर रहा। वर्ष 2015-16 में पांचवें क्रमांक पर रहा। इसके बाद पिछड़ता चला गया। पिछले 3 साल में यह आलम है कि 60 प्रतिशत लक्ष्य अधूरा रह गया है। वर्ष 2016-17 और 2017-18 में 13463 घर मंजूर किए गए। इसमें से मात्र 6712 घरों का निर्माण हो पाया है। वर्ष 2018-19 में 2571 घर मंजूर हुए। उनका निर्माणकार्य शुरू ही नहीं हुआ है। 

शबरी और रमाई आवास का भी बुुरा हाल
राज्य सरकार की ओर से चलाए जाने वाली रमाई अावास योजना अंतर्गत पिछले वर्ष 5289 घरों के निर्माण का लक्ष्य दिया गया था। इसमें से मात्र 1476 घरों का निर्माण किया गया। 3812 आवासों का निर्माणकार्य अब भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। शबरी आवास योजना अंतर्गत 1314 घर मंजूर किए गए। मात्र 765 का ही निर्माणकार्य हो पाया है।

काम में लापरवाही, फिर भी कार्रवाई नहीं
घरों का निर्माणकार्य पंचायत समिति गट विकास अधिकारी के नियंत्रण में किया जाता है। समय-समय पर काम की निगरानी करना और अनुदान का भुगतान की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। घरों के निर्माणकार्य लड़खड़ा जाने से अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई है। लाभार्थी को निर्माणकार्य के लिए 1 वर्ष कालावधि और विलंब होने पर 90 दिन की छूट दी जाती है। अधिकारियाें की लापरवाही के चलते निर्माणकार्य लड़खड़ा जाने पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

जमीन की समस्या
हां...आवास योजना के काम लड़खड़ा गए हैं। इसके पीछे जमीन की समस्या सबसे बड़ा कारण है। इन समस्याओं को हल किया जा रहा है। आवासाें के निर्माणकार्य को गति देने के लिए नियमित समीक्षा की जा रही है। हर रोज औसतन 100 अावासों को पूरा करने का लक्ष्य सामने रखा गया है। कुछ लाभार्थियों ने पहली किश्त लेकर निर्माणकार्य शुरू ही नहीं किया। उनकी भी समस्या को समझकर रास्ता निकाला जा रहा है।- संजय यादव, सीईओ, जिला परिषद

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