कोरोना से जुड़ी फाईलें पेश करने का आदेश, बगैर बैक्सीनेशन लोकल में यात्रा अनुमति का मामला  

हाईकोर्ट कोरोना से जुड़ी फाईलें पेश करने का आदेश, बगैर बैक्सीनेशन लोकल में यात्रा अनुमति का मामला  

Tejinder Singh
Update: 2022-02-11 15:05 GMT
कोरोना से जुड़ी फाईलें पेश करने का आदेश, बगैर बैक्सीनेशन लोकल में यात्रा अनुमति का मामला  

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जुलाई व अगस्त 2021 में जारी स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर(एसओपी) से जुड़ी फाइल व रिकार्ड पेश करने का निर्देश दिया है। इसी एसओपी के तहत कोविडरोधी एक टीका लेनेवाले व्यक्ति के लोकल ट्रेन से यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल अंतुडकर ने कोर्ट को बताया कि राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने कोरोना संबंधी आपात स्थिति के मद्देनजर कोविडरोधी एक टीका लेनेवालों के लोकल ट्रेन से यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया था। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने पूछा कि ऐसी क्या आपात स्थिति थी की राज्य के मुख्य सचिव को खुद सारे फैसले करने पड़ेऔर लोगों के मौलिक अधिकारों में कटौती करनी पड़ी। जबकि मुख्य सचिव जहां बैठते थे वहां के परिसर में कई सचिव बैठते हैं। यदि वास्तव में आपात स्थिति थी तो उन्होंने अकेले फैसला करने के बजाय दूसरे सचिवों को क्यों नहीं बुलाया। आखिर वे भी तो एसओपी से जुड़ी कमेटी के सदस्य रहे होंगे। इस पर श्री अंतुडकर ने कहा कि चूंकि श्री कुंटे राज्य कार्यकारी कमेटी के अध्यक्ष थे। इसलिए एसओपी पर उनके हस्ताक्षर हैं। 

खंडपीठ के सामने कोविडरोधी एक टीका लेनेवालों के लोकल ट्रेन से यात्रा करने पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। याचिका में इस प्रतिबंध को असंवैधानिक व मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है। इसके साथ ही याचिका में सरकार की ओर से 15 जुलाई 2021,10 अगस्त व 11 अगस्त2021  को जारी की गई एसओपी को चुनौती दी गई है।इसी एसओपी के जरिए एक टीका लेनेवालों के लोकल ट्रेन से यात्रा करने पर रोक लगाई गई है। याचिका में सरकार की ओर से लगाई गई इस रोक को भेदभावपूर्ण बताया गया है और इसे रद्द करने का मांग की गई है।

इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अंतुडकर ने कहा कि चूंकि तत्कालीन मुख्य सचिव सेवानिवृत्त हो चुके है। इसलिए उन्होंने एक टीका लेनेवालों के यात्रा करने पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर हलफनामा नहीं दायर किया है। हालांकि श्री अंतुडकर ने कहा कि कोरोना के चलते जब 2021 में ज्यादा मौते हो रही थी उस समय की स्थिति को आपात स्थिति मानकर तत्कालीन मुख्य सचिव ने यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम मामले से संबंधित एसओपी को देखना चाहता है और याचिका पर सुनवाई को 21 फरवरी 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया। 

11 फरवरी 2022 

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