विधायक सुनील केदार की सदस्ता को चुनौती, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

विधायक सुनील केदार की सदस्ता को चुनौती, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

Anita Peddulwar
Update: 2017-12-16 10:36 GMT
विधायक सुनील केदार की सदस्ता को चुनौती, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

डिजिटल डेस्क, नागपुर । सावनेर के विधायक सुनील केदार के खिलाफ उनकी विधायकी को लेकर  दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी और भाजपा के उम्मीदवार सोनबा मुसले ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है। बीते कई दिनों से जारी दोनों पक्षों का युक्तिवाद आखिरकार पूरा हुआ। अब कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता ने केदार के विधायक के रूप में चयन को अवैध बता कर उनकी विधायकी रद्द करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। 
2014 में हुए चुनावों में केदार के विरुद्ध अपना नामांकन खारिज होने पर मुसले ने कोर्ट में दलील दी है कि  जनप्रतिनिधि अधिनियम 1941 कलम 9-अ के तहत उनका नामांकन खारिज करना अवैध है। क्योंकि जिस सरकारी ठेका लेेने वाली मुसले कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक होने के कारण उनकी दावेदारी खारिज की गई थी। 
नामांकन भरने के पहले ही उन्होंने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था। हाईकोर्ट में मुसले की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा और आनंद देशपांडे ने पक्ष रखा। केदार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर कामकाज देख रहे हैं।

सोनबा मुसले नामांकन हो गया था खारिज: 2014 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में याचिकाकर्ता सोनबा मुसले का उम्मीदवारी आवेदन खारिज हो गया था। मुसले ने 27 सितंबर को नामांकन दायर किया था। मालेगांव के मनीष मोहोड ने मुसले को सरकारी ठेकेदार बता कर जनप्रतिनिधि अधिनियम 1941 कलम 9-अ के अनुसार मुसले की उम्मीदवारी पर आपत्ति दर्ज की थी। दोनों पक्षों को सुनकर चुनाव अधिकारी ने मुसले की दावेदारी खारिज कर दी थी। नामांकन खारिज होने पर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी, लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली। ऐसे में अब मुसले ने एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी उम्मीदवारी को सही बता कर क्षेत्र में फिर से चुनाव लेने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने विधायक केदार का चुनाव रद्द करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है।


 

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