संपत्तिधारकों को अवैध निर्माण कार्य का नियमितीकरण पड़ेगा महंगा

संपत्तिधारकों को अवैध निर्माण कार्य का नियमितीकरण पड़ेगा महंगा

Anita Peddulwar
Update: 2018-03-28 09:59 GMT
संपत्तिधारकों को अवैध निर्माण कार्य का नियमितीकरण पड़ेगा महंगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने भले ही 2015 के पहले सभी अवैध निर्माण कार्य को नियमित करने की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन वह अधिसूचना जितना आसान नहीं दखाई पड़ रहा है क्योंकि संपत्तिधारकों को अवैध निर्माण कार्य के रेडिरेक्नर के हिसाब से भुगतान करना होगा, जो लाखों में जा रहा है। इससे भी हैरानी की बात तो यह है कि नियमितिकरण के लिए लागू होने वाला प्रशमन शुल्क (कंपाउंडिंग चार्ज) निर्माण कार्य में किए गए आंकड़ों को पार करता दिखाई पड़ रहा है। यही वजह है कि मंगलवार 27 मार्च को विशेष सभा में रखे गए इस प्रस्ताव को विपक्ष के साथ ही पक्ष की आपत्ति के बाद आखिरकार सूचना सहित मंजूर कर दिया गया।

सिर्फ 5 फीसदी को मिलेगा लाभ
सरकार की नियमावली के अनुसार यदि नियमितीकरण किया जाए तो इसका लाभ सिर्फ 5 फीसदी को मिलेगा, जबकि 95 फीसदी सीधे-सीधे उससे बाहर हो जाएंगे, क्योंकि शहर में निर्माण कार्य टाउन प्लानिंग द्वारा ना करते हुए लोगों द्वारा खुद से ही निर्माण कार्य किया है, इस वजह से घरों के आस-पास बिल्कुल भी जगह नहीं छाेड़ी गई, जबकि दूसरी ओर सकरे और पुराने क्षेत्र में गलियां होने की वजह से वहां पहले से ही जगह नहीं थी। इस पर  भाजपा नगरसेवक प्रवीण दटके ने कहा कि हमें नागपुर शहर के लिए विशेष गांवठान (पुराने व सकरा एरिया) के लिए अलग से नियमावली तैयार की जानी चाहिए। इस पर विरोधी पक्ष ने भी अपनी सहमति जताई।

2500 वर्ग फीट तक एक और व्यावसायिक का 2 रुपए जांच शुल्क
चिन्हित श्रेणियों में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों को प्रशमित संरचना में नियमित करने की कार्रवाई की जाएगी। इसमें लोगों से आर्किटेक्ट, पंजीकृत लाइसेंसधारक व इंजीनियर से निर्धारित प्रारूप में आवेदन स्वीकार किया जाएगा। सत्तापक्ष नेता संदीप जोशी ने बताया कि 2500 वर्गफीट तक के निर्माणकार्य के लिए 1 रुपए प्रति वर्गफुट जांच शुल्क वसूला जाएगा, जो वापस नहीं होगा। 2500 वर्ग फीट से अधिक निर्माणकार्य पर 2 रुपए प्रति वर्गफुट शुल्क की वसूली की जाएगी। साथ ही निर्माण कार्य का व्यवसाय के लिए उपयोग किए जाने पर भी 2 रुपए प्रति वर्गफुट की शुल्क की वसूली की जाएगी। इसे महापौर नंदा जिचकार से सूचना सहित मंजूरी दे दी। साथ ही नियमितिकरण के लिए नागरिकों को 6 माह की समयावधि तय की गई है।

नियमितीकरण शुल्क लाखों में
निर्माणकार्य की जांच का शुल्क वापस नहीं दिया जाएगा। यह कितना वसूल किया जाए इसका निर्णय मनपा की सभा में लिया गया। नगरसेवकों ने कहा कि अवैध निर्माण कार्य को नियमित करने के लिए सरकार ने शुल्क तय किया है उसके अनुसार नागरिकों को लाखों रुपए भरने पड़ेंगे, जो सामान्य नागरिकों के बस की बात नहीं है। लोगों ने जरुरत के हिसाब से अवैध निर्माण कार्य किया है, ऐसी स्थिति में उनको उस अवैध निर्माण कार्य को नियमित करवाने के लिए निर्माण कार्य से अधिक रुपए अर्थात प्रशमन शुल्क देना होगा। अवैध निर्माण कार्य पर दुगना दंड भरना पड़ता है लेकिन अवैध निर्माण कार्य नियमितिकरण रद्द होने के बाद वह रद्द होगा क्या, यह सवाल नगरसेविका आभा पांडे ने पूछा। इस पर बताया गया कि नियमितिकरण के बाद शुल्क वसूल नहीं किया जाएगा।

संकरे व पुराने क्षेत्र के लिए अलग अधिकारी
शहर के पुराने एवं संकरे क्षेत्र में कई सारे पुराने घर हैं। नियमितिकरण के लिए नियमानुसार पुराने क्षेत्र में निवासी उपयोग के लिए कम से कम साढ़े चार मीटर की चौड़ाई का रास्ता छोड़ना होगा, जबकि मिश्रित उपयोग वाली जगह पर कम से कम 6 मीटर चौड़ाई का रास्ता छोड़ना होगा। लेकिन शहर की सच्चाई यह है कि निर्माण कार्य करते समय बहुत से लोगों ने बिल्कुल जगह नहीं छोड़ी है। सत्ता पक्ष नेता संदीप जोशी ने कहा कि इसलिए ऐसे क्षेत्र के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए और वहां के आवेदन आने के बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। तभी उचित निर्णय लिया जा सकता है। इसे महापौर नंदा जिचकार ने सूचना सहित मंजूर करने के निर्देश दिए।
 

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