फारेस्ट एरिया से सटे लोगों को राहत, कम हुई मानव हानि

फारेस्ट एरिया से सटे लोगों को राहत, कम हुई मानव हानि

Anita Peddulwar
Update: 2020-03-12 07:35 GMT
फारेस्ट एरिया से सटे लोगों को राहत, कम हुई मानव हानि

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  राज्य में जंगली जानवरों के हमले की वारदातों को लेकर सामाजिक व राजनीतिक तौर पर शाेर मचता रहता है। कहा जा रहा है कि जंगल सिकुड़ने के कारण जंगली जानवर अधिक हिंसक होकर गांव व शहर में आकर हमले कर रहे हैं। जंगली पशुुओं पर नियंत्रण के लिए उपाययाेजना भी की जा रही है। लेकिन सूचना अधिकार के तहत ली गई जानकारी में एक राहत भरा संकेत मिल रहा है कि जंगली पशुुओं के हमले में मानव हानि के मामले कम हो रहे हैं। दो साल जंगली जानवरों के हमले में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 50 से अधिक थी। वह आंकड़ा घटकर 36 हो गया है। इन हमलों में मारे जानेवाले पालतू पशुओं की संख्या कम नहीं हो पा रही है।

5000 से अधिक पशुओं की हानि
सूचना अधिकार के तहत सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव महाराष्ट्र राज्य नागपुर कार्यालय ने जानकारी उपलब्ध करायी है। 2016 से 2020 तक का वार्षिक रिकार्ड बताया गया है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2016-17 में इन हमलों में 5961 पालतू पशुओं की मृत्यु हुई। 2017-18 में 6909 पशु मारे गए। 2018-19 में 8311 व 2019 से जनवरी 2020 तक 7698 पशु मारे गए।

लाखों का मुआवजा
इन मामलों में पीड़ितों को सरकार ने लाखों का मुआवजा दिया है। 2016-17 में 3.67 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया। 2017-18 में 5.84 करोड़, 2018-19 में 8.02 करोड़ व 2019 से जनवरी 2020 तक 7.17 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया है। 

मारे जानेवालों में पुरुष अधिक
जंगली जानवरों के हमले में मारे जानेवालों में पुरुषों की संख्या अधिक है। 2016-17 में 53 लोग मारे गए, उनमें 39 पुरुष व 14 महिला शामिल थे। 2017-18 में 50 लोग मारे गए, उनमें पुरुष 31 व महिला 19 थी। 2018-19 में इन हमलों में 36 लोग मारे गए। उसमें 21 पुरुष थे। मार्च 2019 से जनवरी 2020 तक 36 लोगों की मौत के प्रकरण दर्ज किए गए, उनमें 24 पुरुष हैं। 
 

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