तीन माह में प्रस्तावित वेतनमान के बनेंगे नियम, फिर सीजे भेजेंगे प्रस्ताव

तीन माह में प्रस्तावित वेतनमान के बनेंगे नियम, फिर सीजे भेजेंगे प्रस्ताव

Bhaskar Hindi
Update: 2019-09-06 08:38 GMT
तीन माह में प्रस्तावित वेतनमान के बनेंगे नियम, फिर सीजे भेजेंगे प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने हाईकोर्ट कर्मियों के वेतन विसंगति को दूर करने के लिए समयबद्द्ध कार्रवाई के दिशा-निर्देश के साथ अवमानना याचिका का निराकरण कर दिया है। युगल पीठ ने निर्देश दिया है कि कर्मचारी दो सप्ताह के भीतर वेतन विसंगति को लेकर रजिस्ट्रार जनरल को अभ्यावेदन देंगे। रजिस्ट्रार जनरल अभ्यावेदन को चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। चीफ जस्टिस अभ्यावेदन के निराकरण के लिए रूल मेकिंग कमेटी का गठन करेंगे। रूल मेकिंग कमेटी तीन माह में प्रस्तावित वेतनमान के संबंध में नियम बनाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस प्रस्ताव को आर्टिकल 229 के तहत राज्यपाल को भेजेंगे। राज्यपाल इस संबंध में एक माह के भीतर अधिसूचना जारी करेंगे।

समयबद्ध कार्रवाई के दिशा-निर्देश 

हाईकोर्ट ने 28 अप्रैल 2017 को निर्देश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा भेजे गए कर्मचारियों के वेतन वृद्द्धि के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए। राज्य सरकार द्वारा जब वेतन वृद्द्धि के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया तो हाईकोर्ट कर्मी किशन पिल्ले और अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई। इस मामले में हाईकोर्ट ने कार्यवाहक महाधिवक्ता को रजिस्ट्रार जनरल, विधि और वित्त विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक कर निष्कर्ष से अवगत कराने के लिए कहा था। कार्यवाहक महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार कर्मचारियों को वेतन बढ़ाना चाहती है, लेकिन उतना संभव नहीं है, जितना प्रस्तावित किया गया है। यह बात भी स्पष्ट नहीं हुई कि कर्मचारियों को वर्ष 2015 से वेतनमान दिया जाएगा या फिर वर्ष 2018 से दिया जाएगा। युगल पीठ ने इस मामले की सुनवाई गुरुवार को दोपहर 2.30 बजे नियत की थी। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने हाईकोर्ट कर्मियों के वेतनमान के संबंध में समयबद्द्ध कार्रवाई के दिशा-निर्देश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से कार्यवाहक महाधिवक्ता शशांक शेखर, उप महाधिवक्ता प्रवीण दुबे, याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली और हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता खालिद नूर फखरूद्दीन ने पक्ष प्रस्तुत किया।
 

Tags:    

Similar News