सोलर एनर्जी और रूफटाप मीटरिंग बनीं सरकारी बिजली कंपनियों के आंख की किरकिरी
सोलर एनर्जी और रूफटाप मीटरिंग बनीं सरकारी बिजली कंपनियों के आंख की किरकिरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोलर एनर्जी और रूफटॉप मीटरिंग को लेकर केंद्र व राज्य सरकार का जिस तरह रूझान बढ़ा उसे लेकर सोलर प्लांट अब सरकारी बिजली कंपनियों के लिए किरकिरी बनता नजर आ रहा है। बता दें कि सरकार भी सौर ऊर्जा जनित बिजली के प्रचार-प्रसार में जुटी है। केंद्र सरकार ने 2022 तक रूफटॉप सौर ऊर्जा से देश में 40 हजार मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य भी रखा है। महाराष्ट्र सरकार भी महाराष्ट्र ऊर्जा विकास एजेंसी (मेडा) के मार्फत सौर ऊर्जा और रूफटॉप नेट-मीटरिंग को बढ़ावा दे रही है।
सूत्रों के अनुसार राज्य की वितरण कंपनी महावितरण इस पर सरचार्ज लगाने के मूड में है। महावितरण के आला सूत्रों के अनुसार महावितरण को लगा था कि वह तबका सौर ऊर्जा की ओर आकर्षित होगा, जिससे उसे क्रास सब्सीडी देनी होती है या जिन्हें कम दर पर बिजली देनी होती है। इससे विद्युत दरों पर पड़ने वाला बोझ कम होता है, लेकिन हुआ उल्टा। ऊंची दर पर बिजली ले रहे या जिनकी खपत अधिक है, उन्होंने रूफटॉप नेट मीटरिंग का सहारा लेना शुरू कर दिया। इसके चलते उनकी छत पर बिजली बनने लगी और महावितरण की खपत पर असर आया। इससे महावितरण पर बोझ बढ़ने लगा। क्रास सब्सीडी का एजेस्टमेंट ही गड़बड़ा जाएगा।
सरचार्ज लगाने के है तैयारी
सूत्रों के अनुसार विद्युत दर वृद्धि प्रस्ताव पर जनसुनवाई खत्म होने और प्रस्ताव पर आदेश आने के बाद महावितरण नेट मीटरिंग पर 1 रुपए 25 पैसे के प्रस्ताव के साथ महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग के सामने जाने का मन बना रही है। यह भी एक प्रकार से व्हीलिंग चार्ज जैसा ही होगा। इसमें होगा यह कि जो बिजली रूफटॉप पर लगे सौर पैनलों से पैदा होगी और महावितरण को जाएगी उस पर 1 रुपए 25 पैसे महावितरण लेगी और जो बिजली उपभोक्ता को महावितरण से आ रही है, उस पर महावितरण व्हीलिंग चार्ज के रूप में 1 रुपए 26 पैसे (प्रस्तावित) ले ही रही है। यह ठीक वैसा ही है, जैसे महावितरण ओपन असेस यानी निजी विद्युत उत्पादक से बिजली लेने पर खरीदार से सरचार्ज वसूलती है।