अर्थी के बांस से बन रही कुटिया, कपड़े किए जा रहे दान, बापू की कर्मभूमि कायम कर रही मिसाल

अर्थी के बांस से बन रही कुटिया, कपड़े किए जा रहे दान, बापू की कर्मभूमि कायम कर रही मिसाल

Anita Peddulwar
Update: 2018-04-05 05:45 GMT
अर्थी के बांस से बन रही कुटिया, कपड़े किए जा रहे दान, बापू की कर्मभूमि कायम कर रही मिसाल

डिजिटल डेस्क,वर्धा। मृत्यु मनुष्य जीवन का अंतिम सत्य है। इस सत्य से जोड़े गए कर्मकांड से समाज को मुक्त करने के लिए संत गाडगे बाबा तथा राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज ने अपना पूरा जीवन जनजागृति के प्रयास में लगा दिया। उनका ही आदर्श सामने रखते हुए बापू की कर्मभूमि वर्धा की श्मशान भूमि में लाए जानेवाली अर्थी और मृतक के कपड़ों को जलाने से मना कर दिया गया है। विश्व हिंदू परिषद से प्रेरित सांत्वना मित्र परिवार तथा वैकुंठधाम सेवा समिति ने इन अर्थियों के बांस से वृक्ष संरक्षक कटघरे तैयार कर वृक्ष संवर्धन और कपड़े गरीबों को दान करने का उपक्रम करीब एक वर्ष पहले शुरू किया जिसे अब सभी सराह रहे हैं। 
 

अर्थी के बांस जलाने लगाई पाबंदी
उल्लेखनीय है कि  व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत बांस और 14 लकडिय़ों की अर्थी पर मृतदेह को रखकर श्मशान भूमि में लाया जाता है। श्मशान भूमि में परंपरा के अनुसार मृतदेह का अंतिम संस्कार किया जाता है। इस दौरान लोग मृत व्यक्ति के कपड़े और अर्थी के बांस और उसमें लगी लकडिय़ां भी जला देते हैं।  अर्थी में लगे बांस और उसकी लकडिय़ों तथा  कपड़ों को जलाने की बजाय उसका अन्य जगह उपयोग किया जा सकता है, ऐसा विचार करीब एक वर्ष पहले विश्व हिन्दू परिषद की इकाई बजरंग दल के विदर्भ प्रांत अध्यक्ष अटल पांडेे तथा जिला मंत्री बडगिलवार के मन में आया जिससे उन्होंने लोगों से अर्थी और कपड़े न जलाने का आह्वान करना शुरू कर दिया। इस कारण श्मशान भूमि में अर्थी के बांस जलाने पर  पाबंदी लग गई। उनके इस निर्णय को शहरवासियों की भी काफी सराहना मिली।

जनजागृति ला रही असर
अर्थी के जमा हुए बांसों से वृक्ष संवर्धक कटघरे और श्मशान भूमि में आनेवाले नागरिकों को छांव में बैठने की सुविधा हो सके इस हेतु कुटिया का निर्माण किया जा रहा है। श्मशान भूमि परिसर में हरियाली निर्माण करने के लिए इन्हीं बांसों से निर्मित कटघरों में वृक्षों का संवर्धन किया जा रहा है। साथ ही मृत व्यक्ति पर डाले गए कपड़े एकत्रित करके गरीबों को दान किए जा रहे हैं। समीपस्थ सेवाग्राम आश्रम के समीप स्थित श्मशान भूमि के कार्यभार को विहिंप की इकाई सांत्वना मित्र परिवार ने ठेके पर लिया है जिससे श्मशान भूमि की समस्त गतिविधियां सांत्वना मित्र परिवार वैकुंठधाम सेवा समिति ही देखता है। सांत्वना मित्र परिवार की तरफ से नितेेश खंडारे इन कार्यों का संचालन कर रहे हैं।

स्मृति में दान भी कर रहेे लोग
मृतक की याद में इस समिति की ओर से अर्थियों से बनाया गया एक वृक्ष संवर्धक कटघरा तथा पौधा दान दिया जाता है। अब तक ऐसे करीब 150 कटघरे दान किए जा चुके हैं। साथ ही 100 कटघरों की मांग प्रकृति प्रेमियों ने की है। एक कटघरा बनवाने पर करीब 100 रु. का खर्च आता है जिसे सांत्वना परिवार अदा करता है। इसके अलावा गरीबों को मृत शरीर जलाने के लिए लकडिय़ां मुफ़्त में दी जाती हैं। श्मशानभूमि में सर्वत्र हरियाली बनाये रखने के लिए सरकार की ओर से पौधारोपण कार्यक्रम शुरू किया गया है। शहर में इस बार पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। केवल पौधारोपण करने से हरियाली नहीं आ सकती। इसके लिए वृक्ष संवर्धन के साथ ही रक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। इससे बचत भी होगी, यही सोच रखते हुए नगर परिषद की ओ्रर से लिए गए इस निर्णय से वृक्षसंवर्धन करना सहजता से संभव हो पाया है। हरियाली नही हो सकती है। इस के लिए वृक्ष संवर्धन सहित रक्षण की जबाबदारी निभानी पडती है। इस से खर्च की बचत भी होगी, इस कारण नगर परिषद द्वारा लिए गए इस निर्णय से वृक्षसंरक्षण करना सहेजता से संभव होगा।

समिति को मिल रही सराहना
अर्थी की लकडिय़ों से हम श्मशान भूमि परिसर में बैठने के लिए कुटिया बनाते हैं और वृक्ष संवर्धक कटघरा बनाकर उसे लोगों में बांटते हैं। मृतक के कपड़े गरीबों को दे देते हैं। एक दिन में कम से कम तीन शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं। मृतक की स्मृति में हम उनके परिजनों को एक कटघरा और एक पेड़ दान करते हैं क्योंकि अपने पुरखों की याद में लगाए गए पेड़ की सुरक्षा लोग बेहद आत्मीयता और सावधानी के साथ करते हैं।
(  नितेश खंडारे, सांत्वना मित्र परिवार वैकुंठधाम सेवा समिति,वर्धा )

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