देश साक्षर नहीं हुआ, मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत -पिल्लई

देश साक्षर नहीं हुआ, मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत -पिल्लई

Anita Peddulwar
Update: 2020-02-08 10:45 GMT
देश साक्षर नहीं हुआ, मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत -पिल्लई

 डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पद्मभूषण व इसरो के प्राध्यापक डॉ. सिवाथानू पिल्लई ने कहा कि  प्राचीन काल से देश में बुद्धिवादियों की परंपरा है। आज देश में अनेक शिक्षण संस्था, तकनीकी शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। फिर भी अभी तक संपूर्ण देश साक्षर नहीं हुआ है। यह दु:ख जताते उन्होंने देश में मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत पर जोर दिया।

रेशमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में एसोसिएशन ऑफ इंडियन कॉलेज प्रिंसिपल की 21वीं राष्ट्रीय परिषद में ‘भारत में उच्च शिक्षा की पुनर्निमिती’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में वे बोल रहे थे। इस अवसर पर लेखक डॉ. भूषण केलकर, सोशल मीडिया विश्लेषक अजित पारसे ने अनुक्रम शिक्षा प्रणाली, सोशल मीडिया का शिक्षा का दर्जा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका पर मार्गदर्शन किया। इस दौरान ब्रम्होस मिसाइल के जनक डॉ. पिल्लई ने देश भर से आए 500 से अधिक प्राचार्यों को मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि देश में आज सूचना तकनीक ने प्रगति की है। पिछले पांच दशक में शिक्षा क्षेत्र में अनेक मील के पत्थर तैयार किए। भारत में बुद्धिजीवियों की परंपरा है।

भारतीयों ने बुद्धिमत्ता के जोर पर अनेक क्षेत्र में नाम रोशन किया है। आज देश ‘मेडिकल टुरिज्म’ है। कम्प्यूटर क्षेत्र में भी भारत ने प्रगति की है। उससे बड़े पैमाने पर आय हुई। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षा की व्याख्या की थी। सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक बदलाव करने वाली प्रणाली यानी शिक्षा, यह उनकी व्याख्या थी। किंतु आज पीछे मूड़कर देखने पर सवाल उठता है कि क्या वैसा हुआ है? इस बारे में कहा नहीं जा सकता। हमने शिक्षा ली, उस समय में शिक्षक के हाथ में छड़ी होने पर भी उसका आदर होता था। लेकिन आज की तस्वीर संतोषजनक नहीं है। भ्रष्टाचार, आतंकवाद बढ़ा है। इससे युवाओं को दूर करना आ‌वश्यक है। इसके लिए मूल्य आधारित शिक्षा की जरूरत है।

पूर्व राष्ट्रपति व शास्त्रज्ञ डॉ. अब्दुल कलाम ने भी शिक्षा की व्याख्या की थी। शिक्षा से सर्जनशीलता, सर्जनशीलता से विचार और विचार से सूचना निर्माण होती है। प्राध्यापक, प्राचार्य पर सूचना देने की और वैकल्पिक शिक्षा की जिम्मेदारी है। आज शिक्षण प्रणाली में सुधार की जरूरत है। इस परिषद से वह साध्य हो रहा है। डॉ. पिल्लई ने कहा कि एसोसिएशन ऑफ इंडियन कॉलेज को यूजीसी ने मान्यता देना चाहिए। इस एसोसिएशन की तरफ से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की अपेक्षा है। इस अवसर पर आयोजन समिति के धरमपेठ साइंस कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. अखिलेश पेशवे, एमके उमाठे कॉलेज के प्राचार्य डी.वी. नाईक, बैरिस्टर शेषराव वानखेडे कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकृष्ण टाले आदि उपस्थित थे। 

सोशल मीडिया के जरिए शिक्षा में सुधार का मौका: पारसे 
शिक्षा का दर्जा ऊंचा उठाने के लिए महाविद्यालय, शाला के शिक्षक व विद्यार्थियों में सोशल मीडिया द्वारा सकारात्मक समन्वय साधा जा सकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा नीति तैयार करने की जरूरत सोशल मीडिया विश्लेषक अजित पारसे ने जताई। सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है। वह शैक्षणिक, औद्योगिक प्रगति का प्रभावी माध्यम भी है। 

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