नए सत्र से बदलेगा CBSE परीक्षा का पैटर्न, घड़ी पहनने व पानी की बोतल ले जाने की मिलेगी इजाजत

नए सत्र से बदलेगा CBSE परीक्षा का पैटर्न, घड़ी पहनने व पानी की बोतल ले जाने की मिलेगी इजाजत

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-14 08:01 GMT
नए सत्र से बदलेगा CBSE परीक्षा का पैटर्न, घड़ी पहनने व पानी की बोतल ले जाने की मिलेगी इजाजत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) के कक्षा 10वीं, 12वीं के परीक्षार्थी अब परीक्षा हॉल में पानी की बोतल ले जा सकेंगे। परीक्षा के दौरान घड़ी भी पहन सकेंगे। परीक्षा से पहले किसी भी छात्र के जूते उतरवाकर जांच नहीं की जाएगी। सीबीएसई ने बोर्ड एग्जाम में शामिल परीक्षार्थियों के निरंतर मिल रहे फीडबैक के बाद यह बदलाव किया है। इसकी वजह है कि इस बार सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षा को लेकर सख्त नियम बनाए थे, जिसमें घड़ी से लेकर पानी की बोतल तक पर पाबंदी लगा दी थी। इससे परीक्षार्थियों को परेशानी हो रही थी। नियमानुसार परीक्षार्थी डिजिटल घड़ी नहीं पहन सकते हैं। नॉर्मल या एनालॉग घड़ी ही पहन कर परीक्षा हॉल में जा सकेंगे।

सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षा में ऐसे कई नियम बनाए थे, जो इंजीनियरिंग और मेडिकल आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए होते थे। परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के साथ ही उनकी कई बार जांच की जाती थी। इससे कई परीक्षार्थी नर्वस हो जाते थे। सीबीएसई कक्षा 10वीं के बोर्ड एग्जाम 29 मार्च तक होंगे। वहीं कक्षा 12वीं के बोर्ड एग्जाम 3 अप्रैल तक चलेंगे।

आगामी सत्र से 25% अंक आब्जेक्टिव
नेशनल असेसमेंट सर्वे 2017-18 में कक्षा 10 के स्टूडेंट्स की खराब परफॉर्मेंस के बाद अब सीबीएसई ने मूल्यांकन प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब सत्र 2019-20 से कक्षा 12वीं के मैथ्स सब्जेक्ट में इंटरनल असेसमेंट शुरू कर दिया जाएगा। इस सब्जेक्ट में अभी तक 100 मार्क्स का बोर्ड एग्जाम ही होता था, लेकिन अगले सत्र से 80 मार्क्स का बोर्ड एग्जाम और 20 मार्क्स का इंटरनल असेसमेंट होगा। मैथ्स के अतिरिक्त लैंग्वेज, पॉलिटिकल साइंस और लीगल स्टडीज में भी नया अनुपात लागू हो जाएगा। स्टूडेंट्स के लर्निंग आउटकम को बेहतर बनाने और उनकी समीक्षात्मक और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए यह बदलाव किया गया है। इंटरनल असेसमेंट के साथ ही सभी सब्जेक्ट्स के पेपर में कम से कम 25 % अंक के ऑब्जेक्टिव क्वेश्चंस भी होंगे। 75% मार्क्स के सब्जेक्टिव क्वेश्चंस की संख्या भी कम कर दी जाएगी, ताकि विश्लेषणात्मक और रचनात्मक उत्तर लिखने के लिए पर्याप्त समय मिले।
 

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