बिरसामुण्डा तिराहा से परियट की सीमा तक सड़क जानलेवा , पूरी रोड के धुर्रे उड़े, चलने के दौरान एक पल का भी चैन नहीं

बिरसामुण्डा तिराहा से परियट की सीमा तक सड़क जानलेवा , पूरी रोड के धुर्रे उड़े, चलने के दौरान एक पल का भी चैन नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-09 09:05 GMT
बिरसामुण्डा तिराहा से परियट की सीमा तक सड़क जानलेवा , पूरी रोड के धुर्रे उड़े, चलने के दौरान एक पल का भी चैन नहीं

शहर के अंदर के साथ कुछ बाहर जाने में भी सड़क ले रही अच्छी खासी परीक्षा, करौंदा बायपास के नजदीक गड््ढों से  हालत पस्त 
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
 शहर के अंदर दर्जनों ऐसी सड़कें हैं जिनमें चलने के दौरान लोग तकलीफें झेल रहे हैं तो शहरी सीमा से कुछ बाहर निकलने के दौरान भी इसी तरह के हालात हैं। बिरसामुण्डा तिराहा से परियट की सीमा तक सड़क एकदम बर्बाद और बदतर स्थिति में पहुँच चुकी है। इस 6 किलोमीटर के करीब मार्ग में हर पल मुसीबतों भरे गड्ढे हैं। एक पल गुजरने के दौरान आदमी को यहाँ पर चैन नहीं है। सड़क की हालत देखकर लगता है कि निकट भविष्य में भी कोई सुधार नहीं होने वाला। कई बार तो चलने के दौरान दो पहिया वाहन चालक को गड्ढों से बचते हुये रास्ता तलाशना पड़ता है। ऊपरी सील कोट पूरी तरह से दम तोड़ चुका और गड्ढे ज्याद गहरे होने से दुर्घटना की अशंका हर पल बनी रहती है। अधारताल से आगे पहले यह मार्ग आधा शहरी और आधा ग्रामीण हिस्से में आता था पर अब पूरी तरह से नगर निगम के दायरे में आ गया तो भी किसी तरह का सुधार इसमें सालों से नहीं हो सका है। सड़क को चौड़ा करने पर्याप्त जगह आसपास है। अतिक्रमणों को अलग करने की बजाए सीधे निर्माण हो सकता है लेकिन लंबे अरसे से इस बदतर और बर्बाद हो चुकी सड़क की कोई सुध लेने तैयार नहीं है। 
हैवी ट्रैफिक, फोर लेन बने तभी राहत
लोगों का कहना है कि यह सड़क ट्रैफिक के लिहाज से बेहद उपयोगी है। इलाहाबाद, रीवा, कटनी, सिहोरा और आसपास के गाँवों से जो वाहन शहर के अंदर आना हो तो इसी से आते हैं। इसी तरह बाहर जाने में भी उपयोग की जाती है। आसपास कॉलोनियों के  साथ बढ़ती बसाहट के हिसाब से यातायात का दबाव है। सभी लिहाज से इसका उद्धार किया जाना बेहद जरूरी है। करौंदा तिराहा तक तो महसूस भी नहीं होता है कि किसी शहरी सीमा की सड़क में चल रहे हैं। इस मार्ग को चौड़ा कर फोर लेन के अंदाज में विकसित किया जाए तभी जनता को कुछ राहत मिल सकती है। 
धूल भी जान लेने उतारू
इस मार्ग में अधारताल की सीमा आरंभ होते ही करौंदा तिराहा, परियट और आगे पनागर तक सड़क में उड़ती धूल ने भी लोगों की नाक में दम कर दिया है। जो दो पहिया वाहन चालक यहाँ से निकलता है वह एकदम धूल में नहा जाता है। कोरोना संक्रमण काल में तो धूल की वजह से आदमी बेचैनी महसूस करने लगता है। सड़क गड्ढों से धूल उगल रही है तो किनारे के हिस्सों से भी धूल आसपास की दुकानों और घरों में समा रही है। एक प्रकार से इस मार्ग में हर पल निकलने के दौरान आम आदमी परीक्षा से गुजर रहा है।
 

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