करंट से वन्यजीवों को बचाने के लिए लगाएंगे एरियल बंच केबल

करंट से वन्यजीवों को बचाने के लिए लगाएंगे एरियल बंच केबल

Anita Peddulwar
Update: 2018-04-30 07:25 GMT
करंट से वन्यजीवों को बचाने के लिए लगाएंगे एरियल बंच केबल

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  करंट से वन्यजीवों को बचाने के लिए शीघ्र ही एरियल बंच केबल लगाए जाएंगेे।  वन विभाग तथा महावितरण ने अब तय किया है कि जिन बीहड़ क्षेत्रों में मनुष्य बल पहुंचना संभव न हो, वहां पर एबी केबल (एरियल बंच केबल) से खुले तारों को बदला जाएगा। शेष स्थानों पर विद्युत खंभों के साथ पहुंच मार्ग बनाया जाएगा, ताकि निरंतर पेट्रोलिंग संभव हो और शिकार पर नियंत्रण पाया जा सके। हाल ही में यह निर्णय नागपुर में आयोजित वन व महावितरण के अधिकारियों की समन्वय कमेटी की बैठक में लिया गया। इसमें गैर शासकीय संस्था वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) के प्रतिनिधि भी सदस्य हैं। 

बाड़ में लगा देते हैं करंट
उल्लेखनीय है कि विदर्भ के प्रसिद्ध बाघ ‘जय’ के शावक ‘जयचंद’ की खेत की बाड़ में करंट के कारण हुई मौत के बाद सरकारी तंत्र हरकत में आया था। प्रधान वन सचिव की पहल पर कमेटी का गठन किया गया था। इसके बाद से ही यह कमेटी वन्यजीवों को करंट से बचाने की मुहिम में जुटी हुई है। बैठक में यह भी तय किया गया कि पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार इस वर्ष भी ग्रामीणों में जन जागृति कार्यक्रम चलाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि संरक्षित वनों के समीप बसे गावों में वन्यजीव और इंसान की झड़प आए दिन होते रहती है।

जंगलों से सटे खेतों में किसान जंगली जानवरों से फसल को बचाने के लिए बाड़ में करंट छोड़ देते हैं। इससे हर साल सैंकड़ों वन्यजीवों की जान चली जाती है। बैठक में प्रधान वनसंरक्षक (वन बल) उमेश अग्रवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) ए. के. मिश्रा, महावितरण के परिक्षेत्र निदेशक भालचंद्र खंडाईत, सहायक प्रधान वनसंरक्षक (वन्यजीव), वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया के मध्य भारत के निदेशक नितीन देसाई के अलावा पूर्व विदर्भ के सभी मुख्य वन संरक्षकों ने हिस्सा लिया।

पुरस्कार की घोषणा ने बचाई कई जीवों की जान
बैठक में डब्ल्यूपीएसआई की जनजागृति के साथ सूचना देने वालों के नाम गुप्त रखकर उन्हें पुरस्कृत करने की योजना को भी कायम रखने का निर्णय लिया गया। डब्ल्यूपीएसआई के नितीन देसाई ने बताया कि पुरस्कार देने की योजना का पिछले वर्ष लाभ मिला है। राजुरा और चार्मोशी क्षेत्रों में दो स्थानों पर करंट से चीतल व जंगली सुअर के शिकार की खबर भी ग्रामीणों से प्राप्त हुई। इसके अलावा खेत की बाड़ में करंट छोड़ने वालों की खबरें भी कई प्राप्त हुई हैं।

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