नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दो आरोपियों को 20-20 साल की सजा

नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दो आरोपियों को 20-20 साल की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-04 07:49 GMT
नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दो आरोपियों को 20-20 साल की सजा

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पॉक्सो एक्ट की विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दो आरोपियों को 20-20 साल के कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। अभियोजन के अनुसार 13 अगस्त 2017 को कुंडम क्षेत्र में रहने वाली नाबालिग किशोरी पानी भरने के लिए हैंडपंप पर गई थी। उसी समय एक किशोर आया और हैंडपंप पर चढ़कर तबेले से पानी लेकर हाथ धोने लगा। उसने मना किया गया तो किशोर उसके साथ मारपीट करने लगा।

मारपीट के बाद वह उसके बाल पकड़कर बाड़ी में घसीटकर ले गया। वहां पर उसके साथ जबरदस्ती की। कुछ देर बाद इमरत सिंह भी आ गया वह भी उसके साथ अश्लीलता करने लगा। कुछ दूरी पर खड़े होकर राजेश सिंह यह देख रहा था कि कोई आ तो नहीं रहा है। पुलिस ने इस मामले में किशोर, इमरत सिंह और राजेश सिंह के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट का प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। विशेष लोक अभियोजक स्मृतिलता बरकड़े ने तर्क दिया कि आरोपियों ने एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है। इसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में हो चुकी है। सुनवाई के बाद न्यायालय ने इमरत सिंह और राजेश सिंह को 20-20 साल की सजा और 10-10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।

दहेज हत्या की आरोपी जेठानी की अग्रिम जमानत निरस्त

हाईकोर्ट ने दहेज हत्या की आरोपी जेठानी सुनीता तिवारी की अग्रिम जमानत निरस्त कर दी है। जस्टिस राजीव दुबे की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मामला गंभीर है। इसलिए अग्रिम जमानत का लाभ देना उचित नहीं है। रीवा जिले के चोरहटा थाना की ओर से पेश केस डायरी के अनुसार कमला तिवारी का विवाह 11 मई 2018 को ग्राम किटवरिया निवासी विनोद तिवारी के साथ हुआ था। विवाह के बाद से ही पति विनोद तिवारी, सास शांति तिवारी, ससुर रामसुंदर तिवारी और जेठानी सुनीता तिवारी द्वारा दहेज के लिए कमला तिवारी को परेशान किया जा रहा था। 6 मार्च 2019 को कमला तिवारी की लाश संहेदजनक परिस्थितियों में पाई गई। जांच के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ धारा 304 बी, 201, 498 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। सुनीता तिवारी की ओर से अग्रिम जमानत आवेदन पेश कर कहा गया कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। आपत्तिकर्ता अधिवक्ता ओपी द्विवेदी ने कहा  कि आरोपियों ने दहेज के लिए मृतका को इतना परेशान किया कि शादी के 10 माह के भीतर ही उसकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद से ही चारों आरोपी फरार है। ऐसी स्थिति में अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने जेठानी की अग्रिम जमानत की अर्जी निरस्त कर दी है।

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