मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों के बीच संघ मुख्यालय पहुंची उमा भारती, साधे रहीं मौन

मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों के बीच संघ मुख्यालय पहुंची उमा भारती, साधे रहीं मौन

Tejinder Singh
Update: 2020-08-27 15:31 GMT
मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तैयारियों के बीच संघ मुख्यालय पहुंची उमा भारती, साधे रहीं मौन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भाजपा की उपाध्यक्ष उमा भारती गुुरुवार को संघ मुख्यालय पहुंची। दो घंटे तक मुख्यालय में बिताने के बाद वे भोपाल के लिए लौट गई। इस दौरान संवाद माध्यम के प्रतिनिधियों से उन्होंने चर्चा नहीं की। मौन साधे रही। उमा,सुबह 10 बजे रेल से यहां आयी थी। संघ मुख्यालय से लौटने के बाद कुछ समय तक उन्होंने रविभवन में विश्राम किया। दोपहर में ही वह रेल से भोपाल लौट गई। लिहाजा अधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं है कि उमा ने संघ मुख्यालय में किन विषयों पर चर्चा की। लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उन्होंने मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत से चर्चा की। उमा अक्सर संघ मुख्यालय में आते रहतीं हैं। लेकिन इस बार का दौरा विशेष महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दो दिन पहले मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया संघ मुख्यालय पहुंचे थे। उनके दौरे को गोपनीय रखा गया था। माना जा रहा है कि सिंधिया से जुड़े विषय पर ही चर्चा के लिए उमा यहां आयी थी।

उम्मीदवार चयन में अवरोध दूर करने की चर्चा

मध्यप्रदेश में विधानसभा की 24 सीटाें के लिए उपचुनाव की तैयारी चल रही है। ये वे सीटे हैं जहां से सिंधिया समर्थक विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। इनमें कुछ विधायक मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार उपचुनाव में उम्मीदवार चयन को लेकर भाजपा के कुछ नेता, ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध कर रहे हैं। इनमें जयभानसिंह पवैया व प्रभात झा का नाम प्रमुखता से शामिल है। पवैया ने एक ट्वीट में लिखा है- राजनीति में दोस्त और दुश्मन बदलते रहते हैं। लेकिन हमारे लिए सैद्धांतिक मुद्दे जो कल थे वे आज भी हैं। पवैया व झा ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया परिवार के विरोध में मुखर राजनीति करते रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन के समय बजरंग दल के संयोजक रहे पवैया कभी उमा भारती के करीबी राजनीतिक सहयोगी भी रहे हैं। भाजपा में प्रवेश के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों का प्रभाव बढ़ने से पवैया व झा नाराज है। जिन सीटों पर विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं उनमें से करीब 18 सीटों पर सिंधिया का प्रभाव माना जा रहा है। ऐसे में सिंधिया को लेकर भाजपा के नेताओं की अंदरुनी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। माना जा सकता है कि उमा को सिंधिया व भाजपा के नाराज नेताओं के बीच समन्वय कराने को कहा गया हो।
 

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