जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर पूरी दुनिया में आलोचना झेल चुके ली कियांग बने चीन के नए पीएम, जिंनपिंग ने सौंपा कमजोर होती अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करने का जिम्मा

वफादारी का इनाम जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर पूरी दुनिया में आलोचना झेल चुके ली कियांग बने चीन के नए पीएम, जिंनपिंग ने सौंपा कमजोर होती अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करने का जिम्मा

Anchal Shridhar
Update: 2023-03-11 09:00 GMT
जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर पूरी दुनिया में आलोचना झेल चुके ली कियांग बने चीन के नए पीएम, जिंनपिंग ने सौंपा कमजोर होती अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करने का जिम्मा
हाईलाइट
  • ली कियांग की इमेज एक प्रो बिजनेस नेता की रही है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन की पार्लियामेंट में चल रही वार्षिक बैठक में राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के करीबी ली कियांग को देश का नया पीएम बनाया गया है। उनके समर्थन में नेशनल पीपल्स कांग्रेस के 2936 सदस्यों ने वोट किया जबकि उनके खिलाफ केवल 3 सदस्यों ने वोट किया। इसके साथ ही कियांग शी जिंनपिंग के बाद अब चीन के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स बन गए हैं। वह चीन के वर्तमान पीएम ली केकिंयांग की जगह लेंगे जो कि 13 मार्च को रिटायर हो रहे हैं।  

झेजियांग के गवर्नर और शंघाई कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख की भूमिका निभा चुके ली कियांग को यह पद केवल जिंनपिंग के वफादार होने की वजह से मिला है। वह साल 2004 से लेकर 2007 तक जिंनपिंग के चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर कार्यरत थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ समय पहले तक उनका नाम देश के टॉप-10 नेताओं में भी शामिल नहीं था। 

ली कियांग की इमेज एक प्रो बिजनेस नेता की रही है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि उनके पीएम बनने के बाद लगातार कमजोर होती चीनी अर्थव्यवस्था दोबारा मजबूत हो सकती है। पीएम का पद संभालने के बाद कियांग प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे जिसमें वो कोरोना की वजह से डूबी चीनी की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के संबंध में और साथ ही देश की बढ़ती  आबादी को लेकर अपने विचार रखेंगे।

जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर झेल चुके हैं आलोचना

साल 2022 में शंघाई शहर में बढ़ते कोरोना के केसों को कंट्रोल करने के लिए ली कियांग ने पूरे शहर में जीरो कोविड पॉलिसी लागू की थी। इस पॉलिसी में लोग अपने घरों में कैद रहने पर मजबूर हो गए थे। ज्यादा समय तक घरों में बंद रहने के चलते लोगों को खाने-पीने और दवाईयों जैसी कई जरुरी चीजों की किल्लत होने लगी थी, जिससे उन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।

वहीं इस पॉलिसी को कियांग ने सही ठहराते हुए कहा था कि अगर शंघाई और पूरे देश को कोरोना से मुक्त करना है तो इस तरह के कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। हालांकि उनके इस कदम का देश से लेकर विदेशों में भारी विरोध हुआ। घरों में कैद लोगों के सब्र का बांध कुछ समय बाद फूटने लगा और उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी स्थिति और सरकार के तानाशाही रवैये की प्रति अपने गुस्से का प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर वीडियोज वायरल होने के बाद देश के साथ ही विदेशों में भी इस पॉलिसी के विरोध में प्रदर्शन और जिंगपिंग सरकार की खूब आलोचना हुई। चीन में तो इस पॉलिसी के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन इतना बड़ा था कि इसकी तुलना साल 1989 में चीन के तियानमन स्क्वेयर में हुए प्रदर्शन से की गई थी। 


 

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