ट्रेड वॉर: अमेरिका ने दूसरी बार लगाया 25% टैरिफ, चीन का स्टॉक मार्केट धड़ाम

ट्रेड वॉर: अमेरिका ने दूसरी बार लगाया 25% टैरिफ, चीन का स्टॉक मार्केट धड़ाम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-08 09:23 GMT
ट्रेड वॉर: अमेरिका ने दूसरी बार लगाया 25% टैरिफ, चीन का स्टॉक मार्केट धड़ाम
हाईलाइट
  • चीन के सीएसआई-300 इंडेक्स में भी 0.6 प्रतिशत गिरावट हुई है।
  • ट्रंप प्रशासन ने चीन से आने वाली 279 वस्तुओं की लिस्ट जारी की।
  • पिछले हफ्ते चीन को पीछे कर जापान दूसरा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है।

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। ट्रेड वॉर का सबसे ज्यादा खामिजाया यदि किसी देश को उठाना पड़ा है तो चीन का नंबर उसमें सबसे ऊपर है। अमेरिका के टैरिफ लगाने से चीन को अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक बार फिर अमेरिका ने चीन पर भारी भरकम आयात शुल्क लगाया है, जिसके बाद चीन के स्टॉक मार्केट को भारी नुकसान हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन से आने वाली 279 वस्तुओं की लिस्ट जारी कर उन पर 25% आयात शुल्क लगाया है। अमेरिका ने जिस सामान पर टैरिफ लगाया, उसकी कीमत 16 अरब डॉलर (1.09 लाख करोड़ रुपए) है। लिस्ट में एंटीना, मोटरसाइकिल और स्पीडोमीटर के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। अमेरिका ने मंगलवार को ये प्रतिबंध लगाया और बुधवार को शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.5 प्रतिशत नीचे आ गया। पिछले हफ्ते चीन को पछाड़कर जापान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शेयर बाजार बनकर उभरा है। चीन के सीएसआई-300 इंडेक्स में भी 0.6 प्रतिशत गिरावट हुई है।
 

खरीदता कम बेचता ज्यादा है चीन
अमेरिका, चीन के साथ होने वाला अपना व्यापारिक घाटा कम करना चाहता है। चीन से अमेरिका ने 2017 में 505 अरब डॉलर (35 लाख करोड़ रुपए) का सामान इंपोर्ट किया। बदले में अमेरिका से चीन ने 129.9 अरब डॉलर (9 लाख करोड़ रुपए) का इंपोर्ट किया। ट्रंप चीन से व्यापार घाटा कम करने की बात कई बार कह चुके हैं। ट्रंप मानते हैं कि चीन बौद्धिक संपदा की चोरी करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति यह भी चाहते हैं कि चीन अमेरिका की टेक्नोलॉजी न चुराए और प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी भी कम करे। बता दें कि मार्च से अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव शुरू हुआ था।

अमेरिका पहले भी लगा चुका है टैरिफ
इससे पहले अमेरिका चीनी स्टील पर 25 और एल्युमीनियम पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगा चुका है। इसके बाद चीन से अमेरिका आने वाली वस्तुएं 25 फीसदी महंगी होने का अनुमान लगाया गया था। उस समय व्हाइट हाउस के व्यापार अधिकारियों ने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मौजूदा मजबूती का मतलब है कि यदि यह युद्ध ज्यादा बढ़ता है तो ऐसी स्थिति में अमेरिका अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ज्यादा दर्द सह पाने में सक्षम है।

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