लिंगायत समुदाय के 30 गुरुओं ने किया सीएम सिद्धारमैया का समर्थन, बीजेपी को झटका

लिंगायत समुदाय के 30 गुरुओं ने किया सीएम सिद्धारमैया का समर्थन, बीजेपी को झटका

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-07 13:31 GMT
लिंगायत समुदाय के 30 गुरुओं ने किया सीएम सिद्धारमैया का समर्थन, बीजेपी को झटका

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। लिंगायत समुदाय के गुरुओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का समर्थन कर दिया है। शनिवार को लिंगायत के प्रभावशाली गुरुओं और सीएम के साथ हुई मीटिंग के बाद लिंगायतों के समर्थन की बात सामने आई है। लिंगायत गुरुओं का ये समर्थन बीजेपी के लिए एक झटके की तरह है, क्योंकि कर्नाटक की 223 में से करीब 100 विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। बता दें कि कुछ दिन पहले कर्नाटक सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश को मंजूरी दे दी थी।

हम उनका समर्थन करेंगे जिन्होंने हमें सपोर्ट किया
कांग्रेस का कर्नाटक में खेला गया लिंगायत दांव अब कुछ हद तक सफल होता दिखाई दे रहा है। लिंगायत समुदाय के 30 प्रभावशाली गुरुओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का समर्थन कर दिया है। इसकी मुख्य वजह प्रदेश सरकार द्वारा लिंगायत को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा देने का फैसला है। धर्मगुरु माते महादेवी ने कहा, "सिद्दारमैया ने हमारी मांग का समर्थन किया है। हम उनका समर्थन करेंगे। महादेवी का उत्तरी कर्नाटक में काफी प्रभाव है।" वहीं एक अन्य धर्मगुरु मुरुगराजेंद्र स्वामी ने कहा, "हम उनका समर्थन करेंगे जिन्होंने हमें सपोर्ट किया।"

केंद्र सरकार के पाले में गेंद
गौरतलब है कि कर्नाटक में लंबे समय से लिंगायत समुदाय अलग धर्म की मान्यता देने की मांग कर रहा था। इसे लेकर लिंगायत समुदाय के धर्मगुरुओं ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की थी। जिसके बाद सिद्धारमैया कैबिनेट ने लिंगायत समुदाय की इस मांग को स्वीकृति दे दी थी। राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले इस मामले में अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी। बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले की निंदा की थी। बीजेपी ने कहा था कि कर्नाटक सरकार धर्म को आधार बनाकर चुनावों में उतरना चाहती है। 

100 सीटें लिंगायत समुदाय के हाथ में
लिंगायत समुदाय की स्थापना 12वीं सदी में महात्मा बसवण्णां ने की थी। लिंगायत समाज पहले हिन्दू वैदिक धर्म का ही पालन करता था, लेकिन कुछ कुरीतियों से दूर होने, उनसे बचने के लिए इस नए सम्प्रदाय की स्थापना की गई। यह समुदाय कर्नाटक में सबसे प्रभावशाली है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लगभग 21 फीसदी है। 224 सीटों में से 100 सीटों पर हार जीत यह समुदाय तय करता हैं।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब साल 2013 के चुनाव के वक्त बीजेपी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया था तो लिंगायत समाज ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था क्योंकि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं।

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