कर्नाटक: कावेरी जल विवाद को लेकर विधानसभा में हो रही सर्वदलीय बैठक, पहुंचे नेता

कर्नाटक: कावेरी जल विवाद को लेकर विधानसभा में हो रही सर्वदलीय बैठक, पहुंचे नेता

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-30 03:13 GMT
कर्नाटक: कावेरी जल विवाद को लेकर विधानसभा में हो रही सर्वदलीय बैठक, पहुंचे नेता
हाईलाइट
  • बैठक के बाद कावेरी जल विवाद पर कोई बड़ा फैसला आ सकता है
  • कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बेंगलुरु में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
  • बैठक में राजनीतिक दलों के कई नेता पहुंचे।

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। वर्षों से चल रहे कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आज (30 जून) बेंगलुरु में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है।  विधानसभा (विधान सौध ) में जारी बैठक में राजनीतिक दलों के कई नेता पहुंचे हैं। ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक के बाद कावेरी जल विवाद पर कोई बड़ा फैसला आ सकता है।

 

 

कावेरी विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल बंटवारे पर 16 फरवरी के फैसले को लागू करने में विफल रही केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार को आदेश दिया था, 3 मई तक कावेरी जल बंटवारे की योजना तैयार करके दे, लेकिन सरकार आदेश को लागू करने में असमर्थ रही।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी को तमिलनाडु, पुदुचेरी, कर्नाटक और केरल के बीच कैसे बांटा जाएगा, इसको लेकर निर्देश जारी किए थे, लेकिन कई दल इससे खुश नहीं है। जिसकी वजह से अब कुमारस्वामी ने सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है।

 

 

  • बता दें कि कावेरी नदी के बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है। दोनों ही राज्यों का कहना है, सिंचाई के लिए उन्हें पानी की जरूरत है। इसे मुद्दे को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। 

 

  • विवाद के निपटारे के लिए जून, 1990 में केंद्र सरकार ने कावेरी ट्रिब्यूनल बनाया था। सुनवाई के बाद 2007 में फैसला दिया गया। कावेरी बेसिन में 740 अरब क्यूबिक फीट पानी मानते हुए ट्रिब्यूनल अपना फैसला सुनाया कि हर साल कावेरी नदी का 419 अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को दिया जा,। जबकि कर्नाटक को 270 अरब क्यूबिक फीट पानी दिया जाए। 

 

  • केरल को 30 अरब क्यूबिक फीट और पुदुचेरी को 7 अरब क्यूबिक फीट पानी देने का फैसला दिया गया था। ट्रिब्यूनल के इस फैसले से कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल पर तीनों ही राज्यों ने आपत्ति जताते हुए एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। 

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