भारत की एक कंपनी पर लगा कोरोना वैक्सीन का फॉर्मूला चुराने का आरोप, दर्ज हुआ 72 सौ करोड़ का मुकदमा, शार्क टैंक की नमिता थापर से है संबंध

कोरोना वैक्सीन से जुड़ी बड़ी खबर! भारत की एक कंपनी पर लगा कोरोना वैक्सीन का फॉर्मूला चुराने का आरोप, दर्ज हुआ 72 सौ करोड़ का मुकदमा, शार्क टैंक की नमिता थापर से है संबंध

Manuj Bhardwaj
Update: 2022-03-23 10:36 GMT
भारत की एक कंपनी पर लगा कोरोना वैक्सीन का फॉर्मूला चुराने का आरोप, दर्ज हुआ 72 सौ करोड़ का मुकदमा, शार्क टैंक की नमिता थापर से है संबंध
हाईलाइट
  • mRNA आधारित वैक्सीन का वर्तमान में तीसरा क्लीनिकल परिक्षण चल रहा है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनाकाल में भारत ने एक खास उपलब्धि हासिल की थी। जब पूरा विश्व इससे से त्रस्त था, तब भारत ने कोविड वैक्सीन इजाद की और फिर भारत में ऐतिहासिक वैक्सीन ड्राइव चलाने के साथ-साथ, दुनियाभर के तमाम देशों को यह खास वैक्सीन दान भी की।

लेकिन इस दौरान एक प्रभावशाली वैक्सीन बनाने के लिए, दुनियभर की कई फार्मास्युटिकल्स कंपनियों ने नई-नई तकनीक के साथ वैक्सीन पर काम जारी रखा। इस बीच कंपनियों इन तकनीकों को जल्द-से-जल्द जमीन पर उतारने के लिए एक दूसरे से समझौते भी किए। 

ऐसा ही एक समझौता अमेरिका की एचडीटी बायो कार्पोरेशन और भारत में फार्मा जायंट एमक्योर की सहयोगी कंपनी जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के बीच हुआ। लेकिन अब एचडीटी बायो कॉर्प ने पुणे स्थित एमक्योर के खिलाफ एक नए कोविड -19 वैक्सीन के लिए व्यापार रहस्यों और वैक्सीन तकनीक को "चोरी" करने का आरोप लगाते हुए वाशिंगटन की एक संघीय अदालत में 7200 करोड़ रुपये का मुकदमा दायर किया है।  

एचडीटी ने कहा कि पुणे की फर्म ने उसकी नई वैक्सीन तकनीक चुरा ली, जिसे उसने भारत में निर्माण और वितरण के लिए एमक्योर की सहायक कंपनी जेनोवा को दिया था।

अमेरिकी बायोफर्मासिटिकल कंपनी ने कहा कि उसकी इनोवेटिव वैक्सीन लक्षित सेल्स को प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले आरएनए (RNA) को पहुंचाने के लिए लिपिड इनऑर्गेनिक नैनोपार्टिकल (Lipid InOrganic Nanoparticle-LION) फॉर्मूलेशन का उपयोग करता है। 

बता दें एचडीटी बायो ने जुलाई 2020 में जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के साथ कोविड -19 वैक्सीन को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें मैसेंजर या एमआरएनए तकनीक (mRNA) का उपयोग किया गया था।

इस मामले पर एमक्योर के प्रवक्ता ने मीडिया को बताया, " लाइसेंस समझौता, जो सूट का विषय है, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स और एचडीटी के बीच है। एमक्योर फार्मा का इस मामले से कोई संबंध नहीं है। Emcure को कानूनी तौर पर सलाह दी गई है कि इसके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है और इसे गलत तरीके से एक पार्टी के रूप में शामिल किया गया है। कंपनी दावों को खारिज करने के लिए कदम उठा रही है।"

जेनोवा के एक प्रवक्ता ने इस बारे में कहा, "हम कहते हैं कि मुकदमे में कोई कानूनी योग्यता नहीं है। हम इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी समझौते के तौर पर या कानून के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है। हम इस तरह के आधारहीन मुकदमे का सख्ती से बचाव करेंगे।"

उधर, एचडीटी बायो कॉर्प ने अपने मुकदमे में कहा है, "एमक्योर ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अपने तथाकथित मालिकाना एमआरएनए प्लेटफॉर्म के बल पर एक कोविड वैक्सीन को उतारने का इरादा रखता है। लेकिन वह एमआरएनए प्लेटफॉर्म और वैक्सीन एचडीटी बायो कॉर्प के हैं।" 

कंपनी ने आरोप लगाया कि एमक्योर और उसकी सहायक कंपनी ने एचडीटी के आइडिया की चोरी और लाइसेंस समझौते का उल्लंघन किया है और एचडीटी के अरबों डॉलर के व्यापार रहस्यों का दुरुपयोग किया है। 

कोरोना पर पार पाने के लिए तमाम फार्मास्युटिकल्स कंपनी नई-नई तकनीकों के साथ वैक्सीन पर काम कर रही है। एचडीटी और जेनोवा की एमआरएनए (mRNA) आधारित वैक्सीन का वर्तमान में तीसरा क्लीनिकल परिक्षण चल रहा है।  

कौन-सी वैक्सीन में कौन- सी तकनीक 

  • वेक्टर वैक्सीन (Vector vaccine)- कौवैक्सीन (Covaxin), कोविशील्ड (COVISHIELD) और स्पूतनिक (Sputnik)
  • प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन (Protein subunit vaccine)- नोवावैक्स (Novavax)
  • एमआरएनए वैक्सीन (mRNA vaccine)- फाइजर (Pfizer) और मॉडर्न (Moderna)
  • डीएनए आधारित वैक्सीन (DNA based vaccine)- जायकॉव-डी ZyCoV-D

चर्चाओं में रहा है एमक्योर का नाम 

हाल ही में टी.वी पर शुरू हुए एक नए शो "शार्क टैंक" के दौरान एमक्योर फार्मास्युटिकल्स का काफी बार जिक्र हुआ था क्योंकि शो पर एक शार्क "नमिता थापर" इस कंपनी की इंडियन बिजनेस की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर है। उन्हें भारत में अब लोग प्यार से "फार्मा-मां" भी बुलाने लगे है। 

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