नीतीश कुमार होंगे 2019 लोकसभा चुनाव में NDA की तरफ से बिहार का चेहरा!

नीतीश कुमार होंगे 2019 लोकसभा चुनाव में NDA की तरफ से बिहार का चेहरा!

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-03 13:49 GMT
नीतीश कुमार होंगे 2019 लोकसभा चुनाव में NDA की तरफ से बिहार का चेहरा!

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में तेजी से बदलते सियासी समीकरण के बीच रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक के बाद पार्टी के महासचिव पवन वर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए से बिहार का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। यानी 2019 लोकसभा चुनावों में नीतीश कुमार बिग ब्रदर की भूमिका में नजर आ सकते है। अब सात जून को पटना में एनडीए की मीटिंग होना है जिसमें इस बात पर औपचारिक मुहर लग सकती है।

2019 की रणनीति पर चर्चा
रविवार को बैठक में 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी के नेताओं के बीच मंत्रणा हुई, जिसमें आगे की रणनीति के बारे में चर्चा की गई। इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर भी मौजूद थे। मीटिंग के बाद पवन वर्मा ने कहा कि बिहार में एनडीए को नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ना होगा। जेडीयू सबसे बड़ा दल है और नीतीश कुमार सबसे बड़ा चेहरा। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि जेडीयू जीएसटी और विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर अब भी कायम हैं। वह इस मुद्दे से किसी भी हाल में पीछे नहीं हट सकते। लोकसभा चुनाव के सीट बंटवारे को लेकर पवन ने कहा कि जब समय आएगा तब ये देखा जाएगा। वहीं जेडीयू के अजय आलोक ने कहा, सीट शेयरिंग में किसी तरह का संदेह नहीं है। अब और दल जुड़ गए है, टॉप लीडर सीट शेयर करने का फैसला लेंगे। वहीं उन्होंने नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए गठबंधन का चेहरा बताया।

 

रामविलास पासवान ने भी किया समर्थन
रविवार को केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी नीतीश कुमार की बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने इस संबंध में अपने बेटे चिराग पासवान के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद रामविलास ने कहा कि बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है इस तर्ज पर विशेष दर्जा जरूर दिया जाना चाहिए।

सीटों का बंटवारा हुआ पेचीदा
बता दें कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटे हैं। 2014 में बीजेपी के साथ रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा थे। लेकिन इस बार नीतीश के भी इस गठबंधन के साथ जुड़ने के बाद सीटों का बंटवारा पेचीदा हो सकता है। यही कारण है कि तीनों दल संयुक्त रूप से बीजेपी पर दबाव बनाकर सीटों का समझौता जल्द करने की बात भी परोक्ष रूप से कर रहे हैं। तीनों दलों को आशंका है कि अगर कम सीट मिले तो इसका प्रभाव पार्टी पर पड़ सकता है। इसके लिए तीनों दल अपनी बात रखकर बीजेपी के पाले में गेंद फेंकने का इरादा रखते हैं।

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