Special Story: रात में भी लॉकडाउन का सच ताड़ने जा पहुंचने वाली महिला आईपीएस

Special Story: रात में भी लॉकडाउन का सच ताड़ने जा पहुंचने वाली महिला आईपीएस

IANS News
Update: 2020-04-16 06:30 GMT
Special Story: रात में भी लॉकडाउन का सच ताड़ने जा पहुंचने वाली महिला आईपीएस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिन भर जरुरतमंदों को भोजन-पानी का इंतजाम करवाना। थाने में ड्यूटी के बाद जो भी महिला-पुरुष पुलिसकर्मी चाहें, उनसे गरीबों के लिए खाना तैयार कराकर बंटवाना। पूरे दिन सोशल डिस्टेंसिंग फालो हो रहा है या नहीं आदि जांचना। उसके बाद स्वेच्छा से मास्क बनाने में जुटी महिला पुलिसकर्मियों का उत्साहवर्धन करना।

यानि एक लॉकडाउन में एक अदद पश्चिमी रेंज की महिला आईपीएस संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह दिन रात घर जाने का नाम नहीं ले रही हैं। सिर्फ इसलिए कि उनकी नजर अपने तीन जिलों से हटते ही कहीं कोरोना की कमर और चेन तोड़ने में जाने-अनजाने कोई चूक न हो जाए।

दिन भर खुद जुटकर पुलिस वालों से जरुरतमंदों की मदद कराने के बाद भी चेहरे पर थकान की शिकन दूर दूर तक नहीं। इस सबके बाद रात के वक्त फिर सरकारी कार में ड्राइवर और वायरलेस ऑपरेटर को लेकर अचानक सड़कों पर उतर जाना। जबसे देश में लॉकडाउन लागू हुआ तब से यही रुटीन है शालिनी सिंह का।

दिन रात घर से बाहर रहने पर थकतीं नहीं है? कभी तो इतना काम करने के बाद बोरियत या परेशानी महसूस हुई होगी 22-23 दिन के लॉकडाउन में अभी तक। पूछने पर शालिनी सिंह ने आईएएनएस से कहा, भूख-प्यास, थकान, बोरियत, आलस, नींद आदि.. यह सब जब आप चाहेंगे तभी आप पर हावी हो जाएंगे। मैं इन सबकी परवाह इसलिए नहीं कर रही हूं, कि आज नहीं तो कल सही, कोरोना से जीत जाएंगे। आराम तो उस वक्त भी कर लिया जाएंगा। आज का जरा सा आलस या लापरवाही या फिर अपनी निजी ख्वाहिशें पूरी करना समाज के लिए भारी पड़ सकता है।

उन्होंने एक सवाल के जबाब में कहा, मैं मानती हूं कि द्वारका, बाहरी और पश्चिमी जो तीनो जिले मेरे अधीन है, उनमें पुलिसिंग/सुपरवीजिन मुझे करना है। इसके अलावा मानवीय ²ष्टिकोण से भी और सीनयर होने के नाते भी मेरी बहुत जिम्मेदारी बनती है। जो सबआर्डिनेट स्टाफ दिन-रात कोरोना की इस मुसीबत में ग्रांउड जीरो पर जूझ रहा है, उसे और कुछ नहीं सिर्फ प्रोत्साहन चाहिए। मुझे अच्छा लगता है कि जब मैं, स्टाफ के बीच या किसी थाने चौकी में या फिर जहां पुलिसकर्मी सहयोगी भावना से कुछ काम कर रहे होते हैं, वहां मैं भी पहुंच जाती हूं। सिर्फ और सिर्फ पुलिस अफसर होने के नाते नहीं। मानवीय ²ष्टिकोण से भी यह मेरी जिम्मेदारी बनती है।

आपके कुछ जिलों में महिला पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान और फिर स्वैच्छिक रुप से ड्यूटी के आगे पीछे के वक्त में भी, समर्पण भाव से मास्क बनाने में भी युद्धस्तर पर जुटी हैं। 10-12 घंटे की ड्यूटी के बाद यह सब कैसे संभव हो पा रहा है? पूछने पर संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह ने कहा, जब हम हों या आप..कोई काम स्वेच्छा से मन से करते हैं। सेवा भाव से करते हैं। तो फिर वो वजन नहीं लगता। न उसमें थकान का अहसास होता है।

इसे काम कहिए या फिर जिम्मेदारी, द्वारका जिले की महिला पुलिस कर्मी बखूबी निभा रही हैं। रोजाना एक हजार से भी ज्यादा मास्क बना कर। दिन-रात मास्क बनाने का काम पुलिसकर्मियों की देखरेख में ही पीएमकेवीवाई के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा संचालित युवा सेंटरों पर हो रहा है। इन सेंटरों पर मैं पुलिसकर्मियों के बीच खुद ही अक्सर पहुंच रही हूं। ताकि वे इस नेक कार्य को करने के लिए स्व-प्रोत्साहित होते रहें।

आपके अधीन आने वाले द्वारका, बाहरी और पश्चिमी तीनों जिलों की सीमाएं हरियाणा बार्डर से जुड़ी हैं। क्या आपके इलाके में सबसे ज्यादा शराब तस्करी इसीलिए हो रही है? आईएएनएस द्वारा पूछे जाने पर पश्चिमी परिक्षेत्र की संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह ने कहा, शराब तस्करी की कोशिश हो रही है। शराब तस्करी हो नहीं रही है। हरियाणा की सीमा से तस्कर घुसने की कोशिश करते ही हमारे बार्डर के थानों की पुलिस तस्करों को पकड़ कर उनकी सब मेहनत पर पानी फेर दे रही है। इसका सर्वोत्तम उदाहरण है, द्वारका जिले का बाबा हरिदास नगर थाना। यहां मेरे रेंज में जहां तक मुझे पता है कि, शराब तस्करों के खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमे कायम हुए हैं।

अब जब पुलिस को अधिकार मिल गया है कि वो शराब तस्करी में इस्तेमाल होने वाले वाहन को भी हमेशा के लिए जब्त कर ले। आपके सीमांत थाना इलाकों में पुलिस इंतजाम भी काफी हैं। इसके बाद भी शराब तस्कर प्रवेश की कोशिश कैसे कर जाते है? उन्हें उम्मीद होती है कि, लॉकडाउन में कोई ध्यान नहीं देगा।

साथ ही शराब तस्कर, तस्करी के लिए अपने दिमाग से तो बहुत ही नायाबा फार्मूले पुलिस की आंख में धूल झोंकने के लिए अपना रहे हैं। जैसे एक शराब तस्कर घरेलू कुकिंग गैस सिलेंडर में ही शराब ले जाते पकड़ा गया। हां यह जरुर है कि पुलिस की सख्ती से बौखलाये कई शराब तस्करों ने हमारी नाका-टीमों पर ही अपना वाहन चढ़ाने की कोशिशें तक कीं। सिर्फ इसलिए कि जैसे तैसे वे लोग शराब तस्करी की उम्मीद में निकलते हैं। उस पर भी दिल्ली पुलिस पानी फेर देती है। शालिनी सिंह के मुताबिक, शराब तस्करी समस्या दिल्ली की नहीं है। यह समस्या दिल्ली पुलिस के लिए ज्यादा है। दरअसल दिल्ली में शराब हरियाणा या उप्र से लाकर बेचे जाने की कोशिशें होती हैं। यह ज्यादा मुश्किल है।

 

Tags:    

Similar News