अच्छी बारिश के बावजूद विदर्भ के 385 बांधों में केवल 12.17 फीसदी बचा पानी
अच्छी बारिश के बावजूद विदर्भ के 385 बांधों में केवल 12.17 फीसदी बचा पानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीते वर्ष की अच्छी बारिश के बावजूद पूर्व विदर्भ के 385 बांधों में मौजूदा स्थिति में मात्र 12.17 प्रतिशत जल ही शेष बचा है। महाराष्ट्र में पूर्व विदर्भ के बांधों के जलसंग्रहण की स्थिति मराठवाड़ा से भी बदतर दिखाई पड़ रही है। राज्य में सबसे कम जलसंग्रहण नागपुर संभाग के बांधों में देखा जा रहा है। अमरावती संभाग में 17.38 प्रतिशत एवं मराठवाड़ा संभाग में 21.15 प्रतिशत जलसंग्रहण है। इनके मुकाबले में पूर्व विदर्भ के बांधों में पानी की कमी भविष्य में भीषण जलसंकट का कारण बन सकती है। गड़चिरोली जिले का दिना बांध, गोंदिया जिले का सिरपुर बांध, चंद्रपुर जिले का असोलामेंढा बांध सूख चुके हैं। वहीं, नागपुर जिले का तोतलाडोह सूखने की कगार पर पहुंच चुका है। इन बड़े बांधों के अलावा मध्यम व छोटे अनेक बांध सूख चुके हैं। हालांकि इस वर्ष मानसून शीघ्र आने की उम्मीद है। बारिश होते ही उक्त सभी जलाशय पानी से लबालब भर जाएंगे, परंतु उचित नियोजन नहीं किए जाने का खामियाजा पुन: आगामी ग्रीष्मकाल में संकट पैदा कर सकता है।
जलसंग्रहण बढ़ाने की जरूरत
राज्य के अन्य संभागों के मुकाबले में जलसंग्रहण की स्थिति का यदि आकलन किया जाए तो कोंकण, मराठवाड़ा, नाशिक, पुणे तथा अमरावती की तुलना में नागपुर संभाग के 6 जिलों में मौजूद छोटे-बड़े 385 बांधों में सबसे कम पानी है। जहां महाराष्ट्र में वर्तमान औसत जलसंग्रहण 22.55 प्रतिशत है तो नागपुर संभाग के बांधों में मौजूदा जलसंग्रहण केवल 12.17 प्रतिशत है। अमरावती संभाग संभाग में 17.38 प्रतिशत, मराठवाड़ा में 21.15, पुणे में 22.17, नाशिक में 24.52 तथा कोंकण संभाग में 43.90 प्रतिशत संग्रहित जल शेष बचा है। पूर्व विदर्भ के 385 बांधों की उपयुक्त जलसंग्रहण क्षमता 4703 दलघमी है। इसमें से महज 572 दलघमी पानी ही उपयुक्त रूप से उपयोग में लाया जा सकता है।
अधिकांश बांध डेड स्टॉक के करीब
हर साल की तरह ही नागपुर संभाग के 6 जिलों में मौजूद जलस्रोतों की स्थिति ग्रीष्मकाल के शुरुआत से ही बिगड़ने लगी। बांधों का जलसंग्रहण लगातार कम होता गया। भीषण जलसंकट की दस्तक ने खासकर ग्रामीण इलाकों में समस्या निर्माण कर दी। अनुमान के अनुसार, अगर जून माह के प्रथम सप्ताह में बारिश शुरू नहीं हुई तो अधिकांश बांध डेड स्टोरेज की चौखट पर पहुंच जाएंगे। संभाग के निवासियों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। मौजूदा हालात एवं प्रशासनिक आंकड़ों से भीषण जलसंकट की आहट मिल रही है। नागपुर जिले में मौजूद मकरधोकड़ा तथा सायकी मध्यम परियोजनाओं का पानी खत्म होने से समस्या विकराल हो चली है।