करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा सिखों का पहला जत्था

करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा सिखों का पहला जत्था

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-09 10:52 GMT
करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा सिखों का पहला जत्था

डिजिटल डेस्क, करतारपुर। पाकिस्तान के ऐतिहासिक दरबार साहिब गुरुद्वारे तक जाने वाले कॉरिडोर के जरिए भारतीय सिख श्रद्धालुओं का पहला जत्था करतारपुर पहुंच चुका है। इस जत्थे का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कर रहे हैं जिन्होंने उम्मीद जताई की यह गलियारा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में बेहतरी आएगी। मनमोहन सिंह को करतारपुर गलियारे के उद्घाटन समारोह के लिए पाकिस्तान सरकार की तरफ से विशेष निमंत्रण भेजा गया था। उनके नेतृत्व में गए जत्थे में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और भाजपा सांसद सनी देओल भी मौजूद हैं।

जीरो लाइन पर पाकिस्तान के टीवी चैनल पीटीवी से बातचीत में मनमोहन सिंह ने गलियारे को खोले जाने को एक बड़ी बात बताते हुए कहा, कि "मुझे पूरी उम्मीद है कि इस गलियारे के खुलने से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में उल्लेखनीय सुधार होगा।" वहीं सीएम अमरिंदर सिंह ने भी बताया कि "इस यात्रा से सभी खुश हैं। सिख समुदाय की बीते 70 सालों से मांग रही है कि पाकिस्तान स्थित उसके धर्मस्थलों तक समुदाय के सदस्यों को जाने दिया जाए।" साथ ही उन्होंने बताया कि "यह शुरुआत है और उम्मीद है कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी और कई अन्य गुरुद्वारों के लिए भी इजाजत मिलेगी।"

करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत के मौके पर पाकिस्तान सरकार ने जिले के सभी स्कूलों में छुट्टी का ऐलान किया है। यह कॉरिडोर गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक धर्मस्थान को पाकिस्तान के पंजाब के नरोवल जिले स्थित करतारपुर के दरबार साहिब से जोड़ता है। बता दें कि यह कॉरिडोर साल भर खुला रहेगा। इसका इस्तेमाल भारतीय नागरिकों द्वारा केवल अपने भारतीय पासपोर्ट के जरिए और बिना वीजा के ही किया जा सकेगा। जो श्रद्धालुगण दर्शन के लिए सुबह के समय में पाकिस्तान जाएंगे उन्हें शाम तक वहां से शाम तक वापस लौटना होगा। इसके अलावा देश के ओवरसीज सिटीजन भी इस गलियारे का लाभ उठा सकेंगे। बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर पर श्रद्धालुगणों की सुविधाओं के सारे इंतजाम किए गए हैं।

बता दें कि करतारपुर साहिब, सिखों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। सिख धर्म के संस्थापक बाबा गुरु नानक जी ने अपने जीवन के अंतिम 17 साल 5 महीने 3 दिन करतारपुर में ही गुजारे थे और वह इसी स्थान में अवलोक हुए थे। इसी स्थान पर दरबार साहिब गुरुद्वारा स्थित है। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करार के मुताबिक रोजाना करीब पांच हजार श्रद्धालु गलियारे से होकर इस गुरुद्वारे तक मत्था टेकने जाएंगे।

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