गिलानी का करीबी देविंदर बहल ISI को देता था गुप्त सूचनाएं : NIA

गिलानी का करीबी देविंदर बहल ISI को देता था गुप्त सूचनाएं : NIA

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-01 03:12 GMT
गिलानी का करीबी देविंदर बहल ISI को देता था गुप्त सूचनाएं : NIA

 

डिजिटल डेस्क, जम्मू। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने हुर्रियत के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी देविंदर सिंह बहल को सोमवार को गिरफ्तार किया था।  NIA की जांच में बहल के पाकिस्तान से तार जुड़े होने के कई सुबूत मिले हैं। NIA ने दावा किया है बहल कथित रूप से पाकिस्तान के उच्चायोग के संपर्क में काम कर रहा था। NIA ने ये भी बताया है कि बहल ने भारतीय सेना की गुप्त सूचनाएं पाक एजेंसी ISI से साझा की है। 

बहल के मोबाइल,लैपटॉप और संपत्तियों की होगी जांच

गौरतलब है कि टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता गिलानी के घर और दफ्तर में छापामार कार्रवाई की गई थी, साथ ही करीबियों और परिवार पर शिकंजा कसा है। बहल के ठिकानों पर छापे में कई ऐसी चीजें मिली हैं जो आपत्तीजनक हैं। उसकी जम्मू-कश्मीर के अलावा कई जगह बेनामी संपत्तियों का पता चला है। घर से बरामद मोबाइल फोन, लैपटॉप की भी जांच-पड़ताल की जा रही है। जांच एजेंसी अलगाववादियों से लिंक तलाशने के साथ टेरर फंडिंग में सुबूत जुटा रही है। 

NIA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया हमें शक है कि पाकिस्तानी उच्चायोग के लोगों के साथ संपर्क में रहने वाले बहल ने ISI के जासूसों को खुफिया सूचनाएं भेजी हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला।

बहल घाटी के लोगों को उकसाता था 

NIA की प्राथमिक जांच में पता चला है कि जम्मू-कश्मीर सोशल पीस फोरम का मुखिया बहल सार्वजनिक रूप से आजादी के समर्थन में नारे लगाता था। NIA ने पाया है कि हुर्रियत लीगल सेल का सदस्य बहल कश्मीरियों को मारे गए आतंकियों को शहीद के रूप में बताकर उनकी "शहीदी" को बेकार नहीं जाने देने के लिए उकसा रहा था। बहल के भाषणों के कुछ विडियो यू-ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। इनमें बहल को "आजादी" के नारे लगाते हुए और मारे गए आतंकियों के जनाजे में उन्हें "शहीद" बताते हुए देखा जा सकता है। 
 

गिलानी का दामाद भड़काता था हिंसा

पिछले साल बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में पत्थरबाजी और हड़ताल का जो सिलसिला चला। NIA के मुताबिक उन दिनों की हिंसा को भड़काने में सैयद अहमद शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूश का बड़ा हाथ रहा। जब नवंबर में गिलानी के दामाद के बेटे को सरकारी नौकरी मिल गई तो वो ठंडा पड़ गया।

NIA के मुताबिक नवंबर 2016 में अनीस उल इस्लाम को शेरे कश्मीर इंटरनेशनल सेंटर में प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी मिली। जिस दिन इंटरव्यू था उस दिन हड़ताल थी। करीब 200 नौजवानों में से फंटूश के बेटे को चुना गया।

हिंसा फैलाने के लिए पार से आता था पैसा सीमा

NIA को फंटूश ने अपनी पूछताछ में बताया है कि घाटी में हिंसा फैलाने के लिए जो पैसा सीमा पार से आता था उसकी जानकारी गिलानी के बेटे नईम और नसीम खान को भी थी। NIA ने नसीम को बुधवार को पूछताछ के लिए बुलाया है।

बहरहाल NIA  को ये जांच बहुत फूंक-फूंककर और पूरे सबूतों के साथ करनी होगी। उसे अहसास होगा कि जो इल्जाम वो लगा रही है। वो बहुत गंभीर किस्म के हैं और उसकी जरा सी चूक से माहौल बिगड़ सकता है। लेकिन एक सावधान कोशिश राज्य में आतंकवाद की कमर तोड़ भी सकती है।

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