गुलाम नबी आजाद के काम से इंदिरा गांधी भी हो गईं थीं इम्प्रेस, कभी कांग्रेस में थे युवाओं की ताकत, शायरी से लेकर सीएम पद तक ऐसा रहा राजनीतिक सफरनामा

गुलाम क्यों हैं खास? गुलाम नबी आजाद के काम से इंदिरा गांधी भी हो गईं थीं इम्प्रेस, कभी कांग्रेस में थे युवाओं की ताकत, शायरी से लेकर सीएम पद तक ऐसा रहा राजनीतिक सफरनामा

Neha Kumari
Update: 2022-08-26 08:34 GMT
गुलाम नबी आजाद के काम से इंदिरा गांधी भी हो गईं थीं इम्प्रेस, कभी कांग्रेस में थे युवाओं की ताकत, शायरी से लेकर सीएम पद तक ऐसा रहा राजनीतिक सफरनामा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश के जाने माने नेताओं का अगर नाम लिया जाए तो, उसमें एक नाम जरूर आएगा वो है गुलाम नबी आजाद का, वे देश के बेहतरीन नेताओं में से एक हैं और अब तक कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखते थे। गुलाम नबी को 1990 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुना गया था। कांग्रेस के साथ अपनी वफादारी निभाते हुए उन्होंने कई अहम पदों पर काम किया है। गांधी परिवार के खास माने जाने वाले गुलाम नबी प्रधानमंत्री मोदी के भी चहेते माने जाते हैं। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब राज्यसभा से उनकी आधिकारिक विदाई हो रही थी, तब प्रधानमंत्री मोदी भी भावुक हो गए थे। राजनीती से हट कर गुलाम को शायरी में भी काफी दिलचस्पी है, वहीं उनकी पत्नी भी एक गायिका हैं।

इंदिरा गांधी के थे खास

जम्मू के डोडा में जन्मे गुलाम नबी आजाद का बचपन उनके गृह नगर में बीता है। उन्होंने बायोलॉजी से श्रीनगर स्थित कश्मीर विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर किया, इसके बाद साल 1973 में उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। शुरूआत से ही गुलाम नबी में राजनीति को लेकर लगन देखने को मिलती थी वो अपने काम को लेकर काफी सजग थे, जिसकी वजह से उन्होंने कम समय में अपनी अलग पहचान बना ली थी। उनके काम का जादू तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी खूब चला और साल 1975 में उन्हें जम्मू-कश्मीर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया और इसके बाद साल 1980 में उन्हें यूथ कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

1982 में मिला केंद्रीय मंत्री का पद

गुलाम के पहली बार सांसद बनने में महाराष्ट्र की अहम भूमिका थी, उन्होंने साल 1980 में महाराष्ट्र के वाशिम से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने। इसके दो साल बाद ही उन्हें 1982 में केंद्रीय मंत्री का पद भार सौंपा गया।  कई सारे पदों को संभाल चुकें गुलाम नबी आजाद ने मुख्यमंत्री पद के लिए दो बार इंकार कर दिया था। रिपोर्ट्स की माने तो साल 1986 में राजीव गांधी ने खुद उनसे जम्मू-कश्मीर का पद भार संभालने के लिए कहा था, लेकिन उनका मानना था कि उन्हें राज्य की राजनीति कोई दिलचस्पी नहीं है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर एक समय पर राज्य हुआ करता था, जो अब दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है। दूसरी बार नरसिम्हा राव ने भी उनसे जम्मू कश्मीर का पद भार संभालने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने उस समय भी इसे टाल दिया था, इन सब के बाद 2005 में आखिरकार वह दिन आ ही गया जब वो जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गए। 

कश्मीर में बनवाया एशिया का सबसे बड़ा गार्डन
फूलों के शौकीन गुलाम नबी आजाद ने भारत को एक और बेहतरीन सौगात दी हैं। उन्होंने कश्मीर में एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन भी बनवाया है। आज कश्मीर घूमने आया हर व्यक्ति एक बार इस गार्डन को देखना जरूर चाहता है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने इसे अपने कार्यकाल में बनवाया था। 

गुलाम नबी आजाद राजनीति के अलावा शायरी लिखने में भी खूब दिलचस्पी रखते हैं, वहीं उनकी पत्नी शमीम जम्मू-कश्मीर की जानी मानी गायिका हैं। उनकी पत्नी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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