चीनी राष्ट्रपति का कश्मीर पर बयान, भारत ने कहा- आंतरिक मामलों में न दें दखल

चीनी राष्ट्रपति का कश्मीर पर बयान, भारत ने कहा- आंतरिक मामलों में न दें दखल

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-09 14:37 GMT
चीनी राष्ट्रपति का कश्मीर पर बयान, भारत ने कहा- आंतरिक मामलों में न दें दखल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जम्मू-कश्मीर को लेकर दिए बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर दोहराया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और दूसरा देश इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान चीनी राष्ट्रपति ने कश्मीर को लेकर टिप्पणी की थी।

चीनी राष्ट्रपति ने कहा था, कश्मीर पर हमारी लगातार नजर है और चीन पाकिस्तान के मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर उसका समर्थन करेगा। जिनपिंग ने कहा कि कश्मीर के हालात में सही और गलत क्या है, यह साफ हो चुका है। दोनों ही पक्षों को शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए यह मसला सुलझाना चाहिए। जिनपिंग ने कहा कि चीन और पाकि​स्तान की दोस्ती का रिश्ता अटूट है। हम चीन-पाकिस्तान के साझा भविष्य को नए युग में ले जाने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे। हमारे रिश्तों में हमेशा उत्साह बरकरार रहेगा।

चीनी राष्ट्रपति के इस बयान के सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, "हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के बारे में रिपोर्ट देखी है जो कश्मीर पर उनकी चर्चाओं को भी संदर्भित करता है।" कुमार ने कहा, "भारत की स्थिति स्पष्ट रही है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। चीन हमारी स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है। यह अन्य देशों के लिए भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के लिए नहीं है।"

 

 

जम्मू कश्मीर के मामले पर चीन बार-बार अपने बयान बदलता रहा है। सबसे पहले चीन ने कहा था कि कश्मीर समस्या का समाधान यूएन चार्टर और उसके प्रस्तावों के तहत होना चाहिए। इससे बाद हाल ही में इमरान खान से मुलाकात से पहले चीन ने कहा कि कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय संवाद के ज़रिए समाधान की तलाश करें। अब इमरान से मुलाकात के बाद एक बार फिर चीन ने कश्मीर पर अपना रुख बदल लिया है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और वह अमेरिका और चीन जैसे देशों सहित कई अंतर्ऱाष्ट्रीय संगठनों से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। हालांकि हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी है।  

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