'जो पत्नियों को खौफ में रखते हैं, उनके लिए है ये बिल', पढ़ें सदन में किसने क्या कहा

'जो पत्नियों को खौफ में रखते हैं, उनके लिए है ये बिल', पढ़ें सदन में किसने क्या कहा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-28 13:54 GMT
'जो पत्नियों को खौफ में रखते हैं, उनके लिए है ये बिल', पढ़ें सदन में किसने क्या कहा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक विधेयक पेश किया। जिसको लेकर संसद में लंबी बहस भी हुई। इस बहस के दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो पत्नियों को खौफ में रखते हैं, उनके लिए है ये बिल। जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बताया है। बता दें कि इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक को अपराध करार दिया गया है और दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ही इस विधेयक को संसद में पेश किया है। उन्होंने कहा कि हमें मुस्लिम महिलाओं के दर्द को समझना चाहिए। आज सुबह ही मैंने एक खबर पढ़ी कि रामपुर में एक महिला को पति ने सिर्फ इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि उसने उठने में देरी कर दी। यह विधेयक महिलाओं के अधिकारों और न्याय के लिए है। इसका किसी पूजा पद्धति, परंपरा या धर्म से लेना-देना नहीं है।

विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने कहा आजकल यह बहुत कहा जा रहा है कि इस्लाम खतरे में है। यदि किसी ने कलमा पढ़ा है तो वह कैसे कह सकता है कि इस्लाम खतरे में है। आपने इस नारे को आजादी से पहले देश तोड़ने और अब समाज तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया। कुछ खतरे में नहीं है बल्कि कुछ लोगों की दुकानदारी खतरे में है। यदि तीन तलाक के मामले में पुरुष के जेल जाने पर महिला के भरण-पोषण की बात की जा रही है तो फिर दहेज उत्पीड़न ऐक्ट (498ए) में तो 7 साल की सजा का प्रावधान है। यह एक साथ तीन तलाक महिलाओं को कैद में रखने का तरीका है। जिसके जरिए पुरुष कहते हैं कि मैं तुझे तलाक दे दूंगा तो कहां जाएगी, समाज में तेरी कोई प्रतिष्ठा नहीं रहेगी।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि हम सभी लोग इस बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इन्हें स्टैंडिंग कमिटी में ही दुरुस्त किया जा सकता है। हम एक साथ बैठ सकते हैं और समयबद्ध तरीकों से इनका निपटारा किया जा सकता है।

असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह बिल मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसमें कानूनी प्रावधानों की कमी है।"

ऑल इंडिया मुस्लिम वीमंस पर्सनल लॉ बोर्ड नेता शाइस्ता अंबर ने कहा यह ऐतिहासिक दिन है। मुस्लिम महिलाएं सालों से पीड़ित हैं और उन्हें उनके सब्र का फल मिला है। सभी सांसदों से अपील है कि वे इस बिल को सर्वसम्मति से पारित करें।

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने पक्ष रखते हुए कहा मैं नहीं मानता कि हमें इसका समर्थन करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया तीन तलाक को अपराध ठहराए जाने से महिलाओं को कैसे लाभ मिलेगा। यदि कोई पुरुष जेल चला जाएगा तो फिर महिला का भरणपोषण करेगा।

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