द्रोपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद बीजेपी को होगा बड़ा फायदा, 2023 और 2024 की जीत होगी बेहद आसान!

मुर्मू का महत्व समझिए द्रोपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद बीजेपी को होगा बड़ा फायदा, 2023 और 2024 की जीत होगी बेहद आसान!

Raja Verma
Update: 2022-07-15 13:38 GMT
द्रोपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद बीजेपी को होगा बड़ा फायदा, 2023 और 2024 की जीत होगी बेहद आसान!

डिजिटल डेस्क नई दिल्ली,राजा वर्मा भारतीय जनता पार्टी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का प्लान अभी से तैयार कर लिया है जिसके सहारे वह फिर से सत्ता में काबिज होना चाहती है। दो बार स्पष्ट बहुमत से सत्ता हासिल करने वाली बीजेपी ने अब तक हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को हथियार बनाकर चुनाव लड़ा जिसमें वह सफल रही। लेकिन इस बार राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार की घोषणा और हैदराबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से आगे बढ़कर, अब उन तबकों और मुद्दों को लेकर जनता के सामने जाएगी जो लोकसभा में उसकी जीत आसान करें और वोट प्रतिशत बढ़ाने में मदद करें। बीजेपी के द्वारा आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू को  राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाना इसी तरफ इशारा  करता है।

द्रोपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से बीजेपी को मिलेगा फायदा? 

राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने आदिवासी कार्ड का इस्तेमाल करते हुए द्रोपदी मुर्मू के नाम का ऐलान कर बड़ा दांव खेला है। बीजेपी ने द्रोपदी मुर्मू के नाम को आगे बढ़ाकर विपक्ष की हवा निकाल दी थी। वह मूल रूप से ओडिशा से ताल्लुक रखती हैं, वर्तमान में झारखंड की राज्यपाल हैं और नवीन पटनायक की गठबंधन सरकार में मंत्री भी रह चुकी है।  बीजेपी के अगुवाई वाले गठबंधन के पास राष्ट्रपति चुनाव के स्थिति तो काफी मजबूत है लेकिन द्रोपदी मुर्मू के नाम को आगे लाकर उन्होंने इस चुनाव में कम पड़ रही वोट के साधने का काम किया ।  द्रोपदी मुर्मू के नाम के जरिए उन्होंने बीजेडी के अपने पाले में कर लिया , उनके नाम पर समर्थन देने की बात ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक कह चुके हैं।

वहीं झारखंड में सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोट देना मुश्किल हो सकता था। क्योंकि झामुमो मुर्मू के खिलाफ मतदान करती है तो हो सकता है कि आदिवासी मतदाता उससे नाराज हो जाए। इसी तरह की दुविधा में अब पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के आदिवासी सांसदों और विधायक भी दिखाई दे रहे थे क्योंकि यहां अभी कांग्रेस की सरकार है फिर भी द्रोपदी मुर्मू के खिलाफ वोट करके कोई भी अपने आदिवासी मतदाताओं के सामने खलनायक नहीं बनना चाहेगा। उधर शिवसेना ने भी द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी ने जो आदिवासी कार्ड खेला है वह कितना सही साबित होता है। 21 जनवरी को जब मतगणना होगी तभी स्पष्ट हो पाएगा कि किस पार्टी ने किस उम्मीदवार को वोट दिया। 

हालांकि बीजेपी के द्वारा द्रोपदी मुर्मू पर सहमति बनने का प्लान केवल राष्ट्रपति बनाने तक ही सीमित नहीं है बीजेपी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर यह दिखाने का प्रयास करेगी कि उनकी पार्टी ने  देश के सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला को बैठाने का काम किया है। जिसका फायदा नवंबर-दिसंबर 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव लेने का प्रयास किया जाएगा ।  बता दें 2023 में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है इन राज्यों में आदिवासियों की अच्छी-खासी आबादी है। इनमें से केवल मध्यप्रदेश में ही बीजेपी की सरकार है।बीजेपी विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर ही अपना प्लान बना रही हैं। 

 

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