मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में ताल ठोकने को तैयार बसपा, बसपा नेता का दावा ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी पार्टी

चुनावी तैयारी 2023 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में ताल ठोकने को तैयार बसपा, बसपा नेता का दावा ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी पार्टी

ANAND VANI
Update: 2022-11-07 09:35 GMT
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में ताल ठोकने को तैयार बसपा, बसपा नेता का दावा ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी पार्टी
हाईलाइट
  • बीएसपी की अपनी रणनीति

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में होने वाले  2023 के विधानसभा चुनावों में मजबूती से साथ चुनावी मैदान में उतरने के लिए बहुजन समाज पार्टी ने कमर कस ली है। बीएसपी पार्टी पदाधिकारियों की विधानसभा क्षेत्रों में हुई मीटिंग के बाद जिलास्तरीय पदाधिकारियों  की समीक्षात्मक बैठक होना शुरू हो गया है। इसके लिए आज बीएसपी प्रदेश कार्यालय भोपाल में प्रदेश के हर जिले से बीएसपी पदाधिकारियों को बुलाया गया है, जिसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद रामजी गौतम मौजूद रहें। सांसद ने चुनावी तैयारियों का जायजा लेते हुए पार्टी नेताओं को दिशा निर्देश दिए। भास्कर हिंदी संवाददाता ने पार्टी प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद रामजी गौतम से बातचीत की।


2023 के विधानसभा चुनावों में बीएसपी की क्या चुनावी रणनीति रहेगी के सवाल का जवाब देते हुए सांसद ने भास्कर हिंदी संवाददाता से कहा कि बीएसपी की अपनी एक रणनीति रहती है, पार्टी की गाइडलाइन के मुताबिक उसे केवल पार्टी पदाधिकारियों के साथ साझे करते है। आने वाले चुनावों में पार्टी की रणनीति साफ दिखाई दे जाएगी। पार्टी बूथ स्तर पर मजबूत हो रही है। बीएसपी का हर कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने में जुटा है।

 
बीएसपी की इसी महीने दो बड़ी महारैली आदिवासी क्षेत्र में होने जा रही है, इससे कुछ दिन पहले भी उत्तरी मध्यप्रदेश के चंबल और ग्वालियर में महारैली का आयोजन हुआ है। बीएसपी महारैलियों का आयोजन तो करती है, लेकिन क्या कांग्रेस और बीजेपी की तर्ज पर यात्राएं भी निकालेंगी, इसका जवाब देते हुए सांसद ने कहा कि बीएसपी गरीब लोगों की गरीब पार्टी उसके पास अन्य दलों की तरह धन नहीं है। यात्रा निकालने में पैसा खर्च होता है, पार्टी से जुड़े वर्कर्स और पार्टी समर्थित मतदाताओं के पास रहने तक के लिए छत नहीं है,  यात्राओं में सुरक्षा, सुविधाओं में अधिक पैसा खर्च होता है। इसलिए बीएसपी यात्रा करने से बचती है, या ये जरूर है कि समय आने पर पार्टी यात्राएं भी करेंगी।  
 
मध्यप्रदेश की राजनीति में आदिवासी वोट बैंक का बड़ा  महत्व है, कांग्रेस और बीजेपी इसी वोट बैंक पर अधिक फोकस कर रही है। बीएसपी जनजातीय वोट पाने में  हर बार क्यों पीछे पिछड़ जाती है। सांसद गौतम ने इसका जवाब देते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस अमीर लोगों की अमीर पार्टियां है। इस दौरान सांसद ने बीजेपी और कांग्रेस पर आदिवासी मतदाताओं को बहला फुसलाकर लोभ लालच में अपने पक्ष में करने का आरोप लगाया।   हमारे पास इतना पैसा नहीं है। सांसद ने आगे कहा कि आदिवासी समुदाय के शिक्षित लोगों को समझना चाहिए कि उनके अधिकारों की लड़ाई किसने लड़ी और कौन उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहा है। कुछ दिनों बाद आदिवासी इलाकों में बीएसपी की दो बड़ी महारैलियों का आयोजन किया जा रहा है।

चंबल और ग्वालियर को बीएसपी का गढ़ माना जाता है, हर विधानसभा चुनाव में अधिकतर सीटों पर बीएसपी का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, लेकिन बीएसपी यहां सीट को जीत में तब्दील करने में क्यों विफल हो जाती है, इसका जवाब देते हुए गौतम ने कहा कि हमें ऐसी सीटों की जानकारी है, हमसे कहां गलती हो जाती है इसकी सीट बार समीक्षा हमने कर ली,ऐसी सीटों पर हम नई प्लानिंग के साथ जीतने में कामयाब होंगे। 

मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनावों में बीएसपी के दो विधायक निर्वाचित हुए थे, उनमें से एक विधायक संजीव कुशवाह ने बीएसपी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है, क्या इससे बीएसपी वोटर पर असर पडे़गा। इसका जवाब देते हुए सांसद ने कहा कि बीएसपी का वोटर मजबूत वोटर है, विधायक कुशवाह  भले ही भाजपा में चले गए लेकिन उनके साथ बीएसपी का कोई भी कार्यकर्ता भाजपा में नहीं गया।  कुशवाह के जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मुरैना विधानसभा क्षेत्र में कई मतदाता उपचुनावों में बसपा प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया का उदाहरण देते हुए  बसपा पर अनर्गल आरोप लगाते है, बीएसपी के हाथी का साथ छोड़कर गए राजौरिया को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाना बीएसपी की क्या मजबूरी थी, घूम फिर कर पार्टी में आए राजौरिया के सवाल पर बसपा प्रभारी  गौतम अधिक बोलने से बचे, हालांकि उन्होंने आगे कहा कि आने वाले चुनावों में इस बात का ध्यान रखा जाएगा, और ऐसे किसी भी प्रत्याशी को चुनावी मैदान में मौका नहीं मिलेगा। 


 

 

 

 

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