पंजाब की जीत ने जता दिया अरविंद केजरीवाल पीएम नरेंद्र मोदी नहीं, सबसे पहले राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं की मुश्किल बढ़ा सकते हैं!

केजरीवाल का बढ़ा कद पंजाब की जीत ने जता दिया अरविंद केजरीवाल पीएम नरेंद्र मोदी नहीं, सबसे पहले राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं की मुश्किल बढ़ा सकते हैं!

Anupam Tiwari
Update: 2022-03-10 12:10 GMT
पंजाब की जीत ने जता दिया अरविंद केजरीवाल पीएम नरेंद्र मोदी नहीं, सबसे पहले राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेताओं की मुश्किल बढ़ा सकते हैं!

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी पहली बार प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। पंजाब की सियासत में आप मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जीत का पचरम लहराया है। अरविंद केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता राहुल गांधी व ममता बनर्जी के लिए चुनौती बन सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले ही ममता बनर्जी कई विपक्षी नेताओं से मिलकर आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट करने में जुटी थी।

फिर कयास यही लगाए जा रहे थे कि ममता बनर्जी ही विपक्ष की चेहरा बनेंगी। लेकिन आज पंजाब चुनाव के नतीजे ने बता दिए कि केजरीवाल को हल्के में लेना ममता और राहुल की भूल होगी। हो सकता है कि कांग्रेस नेतृत्व को भी अरविंद केजरीवाल की अहमियत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह समझ में आने लगी हो, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मोदी को भी कांग्रेस काफी हल्के में लेती रही। पंजाब की जनता कहीं न कहीं दिल्ली मॉडल को पंसद किया है। चाहे फ्री पानी हो, शिक्षा हो या फिर स्वास्थ्य सुविधा हो। पंजाब में केजरीवाल इन्हीं सब चुनावी मुद्दों को जनता के सामने रखे थे। जिसका उनको फायदा दिखा है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2017 में अरविंद केजरीवाल को पंजाब के साथ-साथ गोवा में भी सरकार बना लेने की पूरी उम्मीद रही, लेकिन ऐसा संभव नही हो पाया, गोवा में तो कुछ नहीं मिला, लेकिन पंजाब में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की हैसियत जरूर बन गयी थी। बहरहाल, ये पंजाब ही है, जहां से आम आदमी पार्टी को 2014 में 4 लोकसभा सांसद मिले। और, अब वहां आप की सरकार बन रही है। साफ है कि पंजाब की जनता कहीं न कहीं दिल्ली मॉडल को पंसद कर रही है। चाहे फ्री पानी हो, शिक्षा हो या फिर स्वास्थ्य सुविधा हो।

विपक्ष के लिए नई चुनौती

पंजाब में केजरीवाल ने इन्हीं सब चुनावी मुद्दों को जनता के सामने रखा था। जिसका उनको फायदा दिख रहा है। विपक्षी दल लंबे समय से एक मजबूत चेहरे की तलाश में थी। विपक्षी पार्टियां केंद्रीय राजनीति में पहले शरद पवार को आगे लाना चाह रही थी, फिर ममता बनर्जी को आगे किया, कुछ समय तक नीतीश कुमार की भी चर्चाएं थी। लेकिन इन सभी को बड़ा झटका देते हुए केजरीवाल सबसे आगे निकल गए। जाब की चुनावी बयार ने तो बता दिया कि सालों से जमी सरकार को उखाड़ फेंकने में केजरीवाल ने अपनी ताकत का एहसास बीजेपी से लेकर सभी विपक्षी पार्टियों को करा दिया है। केजरीवाल की झाडू ने सभी विपक्षी पार्टियों को बहार कर किनारे लगा दिया है।

केजरीवाल का कद लगातार बढ़ रहा है। जो ये भी साबित कर रहा है कि जहां जनता को बीजेपी के विकल्प के तौर पर कांग्रेस रास नहीं आ रही वहां केजरीवाल की पार्टी के लिए दरवाजे खुल रहे हैं। सियासी संकेत साफ हैं आने वाले वक्त में केजरीवाल का दल और कद दोनों और बढ़ेंगे। जिसके बाद वो सत्ताधारी दल और नेता से पहले विपक्ष के नेताओं के लिए चुनौती बनेंगे। ममता बनर्जी या राहुल गांधी या जो भी नेता खुद को इस लायक समझता है या समझा जाता है हर उस नेता के लिए केजरीवाल फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बनते नजर आ रहे हैं।

ममता बनर्जी से पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे 

कांग्रेस की बैठकों में अरविंद केजरीवाल ही ममता बनर्जी को बुलाने में भूमिका निभाते थे। अब दोनों नेताओ में आपस में ही टकराव शुरू हो गया है और टकराव का कारण बना है गोवा विधानसभा चुनाव। पंजाब की ही तरह अरविंद केजरीवाल 2017 में गोवा में भी चुनाव लड़े थे, लेकिन जब नतीजे आये तो बहुत बड़ा फासला सामने आ गया, गोवा में तो खाता भी नहीं खुला, लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी विपक्षी दल बन चुकी थी।

हो सकता है अभी ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल में गंभीर टकराव जैसी नौबत नहीं आयी हो, लेकिन कॉमन इंटरेस्ट होने की वजह से साफ है कि आज नहीं कल ये तो होना ही था। अगर राहुल गांधी पिछड़ जाते हैं, तो 2024 में प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज करने वालों में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ही बचेंगे तब देखना होगा कि कौन किसे पछाड़ता है? इस बात को लेकर सियासत में बहस छिड़ी हुई है। 


 

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