पंजाब किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने संयुक्त संघर्ष पार्टी का किया ऐलान

खेती, आंदोलन अब राजनीति पंजाब किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने संयुक्त संघर्ष पार्टी का किया ऐलान

ANAND VANI
Update: 2021-12-18 07:31 GMT
पंजाब किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने संयुक्त संघर्ष पार्टी का किया ऐलान
हाईलाइट
  • किसानों का मिशन पंजाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक साल से अधिक समय से चला किसान आंदोलन अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। लेकिन अब किसान आंदोलन खत्म कर राजनीति में अपना भविष्य आजमाना चाहते है।  किसान नेता अब राजनीति में नेतागीरी करने का मूड बना चुके हैं। आज किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने पंजाब चुनाव में उतरने के लिए चंडीगढ़ में पीसी की और अपनी संयुक्त संघर्ष पार्टी का एलान किया।

आपको बता दें पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और  अब ये तय है कि चुनाव में किसान आंदोलन से जुड़े कुछ चेहरे नजर आएंगे। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया के एक सवाल के जवाब में कहा था  वो किसी भी प्रकार से चुनाव में पार्टिसिपेट नहीं करेंगे।

पिछले एक साल से गुरनाम सिंह चढूनी मिशन पंजाब के तहत किसान, किसानी और उससे जुड़े मुद्दों पर बोलते रहे है। किसान आंदोलन के समय गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों की मांगों को उठाते हुए आंदोलन को और मजबूत किया था।  किसान नेता का मानना है कि सिर्फ आंदोलन से बदलाव नहीं हो सकता है, राजनीति में भी बदलाव करने की जरूरत है। इसी एजेंडे और उद्देश्य के तहत  चढूनी पंजाब विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाते हुए नज़र आएंगे। चढूनी भारतीय किसान यूनियन के नेता और एक साल तक आंदोलन चलाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के अहम सदस्य हैं। चढूनी ने आज चंड़ीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी है। चढ़ूनी ने इसे मिशन पंजाब का नाम दिया है। इसी मिशन के तहत फतेहगढ़ साहिब में एक उम्मीदवार के नाम का एलान भी कर दिया।

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा चढूनी के चुनाव वाले फैसले से सहमत नहीं था। इसी को लेकर गुरनाम सिंह चढूनी और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के बीच खींचतान भी चली थी, लेकिन चढूनी अपनी बात पर अड़े रहे। हालांकि चढूनी ने साफ कर दिया है कि वो खुद चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे, बल्कि किसानों को मैदान में उतारेंगे।

गुरनाम सिंह चढूनी की पत्नी बलविंदर कौर ने कुरुक्षेत्र से 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमाई थी। चुनाव  हारने के बाद से गुरनाम सिंह चढूनी ने राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन एक बार फिर उन्होंने सियासी मैदान में उचरने का मन बना लिया हैं।आपको बता दें कि चढूनी के इन्हीं राजनीतिक अरमानों को लेकर बीजेपी ने किसान आंदोलन की नीयत पर सवाल खड़े किए थे।

 

 

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