डेयरी इंफ्रा फंड से 5 करोड़ लीटर दूध उत्पादन, 30 लाख नौकरियां बढ़ेंगी : सोढ़ी
नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। भारत के प्रतिष्ठित ब्रांड अमूल ने कोविड-19 के कारण लागू राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान देशभर में दूध और दूध से बने उत्पादों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर. एस. सोढ़ी ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अमूल हर दिन 15 प्रतिशत अधिक दूध की सप्लाई कर रहा है, क्योंकि अन्य निजी और डेयरी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां उतना उपार्जन या सप्लाई नहीं कर रहे हैं।
सोढ़ी ने कहा कि बंद के दौरान जब से लोग घर पर हैं, दूध और डेयरी उत्पादों की खपत बढ़ गई है। सोढ़ी ने कहा कि बंद के बाद की अवधि में अमूल के लिए अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि अच्छे व साफ-सफाई बरतने वाले ब्रांडों की मांग बढ़ रही है और खुला बिकने वाले दूध की खपत कम हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में घोषित 15,000 करोड़ रुपये के डेयरी इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड से पांच करोड़ लीटर अधिक दूध और 30 लाख नौकरियों की क्षमता पैदा होगी। सूक्ष्म उद्यमियों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना दूध की कमी वाले राज्यों में डेयरी उद्यमी बनाकर पलायन की समस्या से भी निपटा जा सकता है।
वित्तवर्ष 2020 में जीसीएमएमएफ का कारोबार 38,500 करोड़ रुपये का था और चालू वित्तवर्ष में इसका 43,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य है। यह भारत का सबसे बड़ा खाद्य उत्पाद विपणन संगठन है। वित्तवर्ष 2020 में इसकी दैनिक तौर पर दुग्ध क्षमता 2.3 करोड़ लीटर रही है।
प्रश्न : अमूल ने राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान दूध की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित की?
उत्तर : बंद में जहां तक अमूल की आपूर्ति के बारे में बात करूं तो इसमें कोई परेशानी नहीं आई है। किसान से लेकर उपभोक्ता तक इसकी सप्लाई जारी है। आप बंद के दौरान दूध या दूध से बने उत्पादों का सेवन बंद नहीं करते हैं। पहले दिन से ही दूध को एक आवश्यक उत्पाद घोषित किया गया है। इसलिए आपूर्ति में कोई बड़ी समस्या नहीं हुई है।
प्रश्न : दूध की सप्लाई या खरीद में बढ़ोतरी कैसे हुई?
उत्तर : दूध की सप्लाई या खरीद में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि छोटे व निजी व्यापारी, छोटी डेयरियां, आइसक्रीम डेरी आदि उतना दूध नहीं खरीद रहे हैं। इसलिए हमारे पास यही अतिरिक्त आ रहा है। यह केवल अमूल के साथ ही नहीं है। पूरे भारत में सहकारी समितियां 15 से 30 प्रतिशत अधिक दूध ले रही हैं, क्योंकि सहकारी समितियां अच्छी कीमत भी चुका रही हैं।
हम अतिरिक्त दूध को प्रयोग में लाने में भी सक्षम हैं। हमारे पास इसके लिए क्षमता है। हम अतिरिक्त दूध को स्किमिंग पाउडर या सफेद मक्खन जैसी वस्तुओं में परिवर्तित कर रहे हैं।
प्रश्न : क्या दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है?
उत्तर : होटल, रेस्तरां और मिठाई की दुकानें बंद होने के कारण शुरुआत में दूध की खपत में 15 फीसदी की कमी जरूर आई, मगर एक सप्ताह में ही यब सामान्य हो गया। अब हमारी बिक्री समान है या पहले से भी अधिक है। दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में तो कोविड-19 की स्थिति से पहले की अपक्षा में अब अधिक बिक्री हो रही है।
मेरा मानना है कि जब लोग घर पर होते हैं तो वे दूध और दूध से बने उत्पादों का अधिक सेवन करते हैं। हमारे सभी डेयरी उत्पादों पनीर, घी इत्यादि के उपभोग में भी यही स्थिति है और इनमें 10 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रश्न : चालू वर्ष में जीसीएमएमएफ के लिए राजस्व अनुमान क्या हैं?
उत्तर : पिछले साल राजस्व 38,500 करोड़ रुपये था, 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह चालू वर्ष में 43,000 करोड़ रुपये होगा। अगर आप अमूल ब्रांड को समग्र रूप से देखें तो पिछले साल यह 53,000 करोड़ रुपये था और इस साल यह 58,000 करोड़ रुपये होगा।
Created On :   24 May 2020 8:00 PM IST