रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक आज, EMI पर राहत की उम्‍मीद कम

Reserve Bank of India monetary review meeting,live update, hope of relief on EMI is less
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक आज, EMI पर राहत की उम्‍मीद कम
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक आज, EMI पर राहत की उम्‍मीद कम
हाईलाइट
  • होम लोन की ईएमआई पर राहत मिलने की उम्मीद कम है।
  • आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास की पहली समीक्षा बैठक
  • भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक आज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक समीक्षा बैठक आज होगी। आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास अपने कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक लेंगे। जानकारों का कहना है कि लगातार कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से समिति के लिए नीतिगत ब्याज दर घटाना मुश्किल है। ऐसे स्थिति में होम लोन की ईएमआई पर राहत मिलने की उम्मीद कम है।

इससे पहले दिसंबर में उर्जित पटेल की अगुवाई में अंतिम मौद्रिक बैठक हुई थी। जिसमें केंद्रीय बैंक ने बेंचमार्क ब्याज दर यानी रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर रखी थी और रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी पर कोई बदलाव नहीं किया गया था। बैठक के परिणामों की घोषणा के बाद उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। जिसके बाद शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर को आरबीआई की कमान संभाली थी। बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह। ठीक इसका विपरीत प्रभाव रेपो रेट बढ़ने से पड़ता है।

जानकारी के मुताबिक मौद्रिक नीति समिति आगामी 5 से 7 फरवरी के बीच अपने नीतिगत रुख को कठोर बनाने की जगह तटस्थ कर सकती है। मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी के अलावा वैश्विक वृद्धि सुस्त पड़ने से 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चार फीसदी के दायरे में रहने वाली है। इससे रिजर्व बैंक के पास मौका बनेगा कि वह नीतिगत रुख बदले। बता दें कि मुद्रास्फीति का अर्थ महंगाई से लगाया जाता है। जब उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की मूल्य में वृद्धि होती है या जब उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में स्थायी या अस्थायी वृ्द्धि हो तो उसे मुद्रास्फीति या महंगाई कहा जाता है।

बता दें कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 3.8 प्रतिशत के अनुमान से कम 2.6 प्रतिशत रही। जबकि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 7.01 लाख करोड़ रुपये रहा। वर्ष 2018- 19 में राजकोषीय घाटा 6.24 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। सरकारी आकड़ों के अनुसार रेवेन्‍यू वसूली की रफ्तार कम होने से घाटे का आंकड़ा बढ़ गया है।    

नए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की पहली समीक्षा
आरबीआई के नए गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास ने पद संभाला। उनके लिए यह पहली मौद्रिक समीक्षा होगी। पद संभालते समय दास ने कहा था कि वे रिजर्व बैंक की आजादी और मूल्यों को बरकरार रखेंगे। उन्होंने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर पर तत्काल वो फोकस करेंगे। दास ने कहा सभी मुद्दों का अध्ययन करने में समय लगेगा। आज के समय में निर्णय लेना ज्यादा मुश्किल हो गया है। 

 

 

Created On :   5 Feb 2019 3:22 AM GMT

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