- ED ने दो चीनी नागरिकों चार्ली पेंग और कार्टर ली को मनी लांड्रिंग के आरोप में किया गिरफ्तार
- कोरोना संकट और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए ब्रिटेन ने जी 7 नेताओं को बुलाया
- पीएम मोदी गुजरात के केवडिया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आठ ट्रेनों को दिखाएंगे हरी झंडी
- मध्य प्रदेश में आज नहीं लगेगी कोरोना वैक्सीन, सोमवार को फिर शुरू होगी वैक्सीनेशन ड्राइव
- राजस्थान: जालौर में यात्रियों से भरी बस से टच हुआ बिजली का तार, कई लोगों के मौत की आशंका
चांदी में तेजी का रुझान, दिवाली तक 70000 रुपये किलो तक जा सकता है भाव

हाईलाइट
- चांदी में तेजी का रुझान, दिवाली तक 70000 रुपये किलो तक जा सकता है भाव
मुंबई, 22 जुलाई (आईएएनएस)। कोरोना काल में सोने और चांदी की चमक बढ़ गई है। खासतौर से चांदी में ज्यादा निखार आया है। औद्योगिक मांग बढ़ने और आपूर्ति कम रहने की वजह से वैश्विक बाजार में चांदी में जबरदस्त तेजी आई है जिससे भारतीय वायदा एवं हाजिर बाजार में चांदी की कीमतों में सोने से ज्यादा उछाल आई है। बाजार विश्लेषकों की माने तो चांदी इस साल दिवाली तक 70,000 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है।
घरेलू वायदा बाजार में बुधवार को सोना ने फिर नया रिकॉर्ड बनाया और चांदी 2012 के बाद के सबसे उंचे स्तर पर चली गई। सोने का भाव पहली बार 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया जबकि चांदी 61,000 रुपये किलो से उपर तक उछली। दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रकोप गहराने से मार्च के बाद अब तक चांदी और सोने में जबदरस्त तेजी आई है और महंगी धातुओं के प्रति निवेश के बढ़ते रुझान से आगे और तेजी का रुझान बना हुआ है।
खासतौर से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से ज्यादा तेजी आई है। घरेलू वायदा बाजार में 18 मार्च के बाद चांदी में 82 फीसदी का उछाल आया है। एमसीएक्स पर बुधवार को चांदी का भाव 61,280 रुपये प्रति किलो तक उछला जोकि 18 दिसंबर 2012 के बाद का सबसे उंचा स्तर है जब चांदी का भाव 62,164 रुपये प्रति किलो तक उछला था। वहीं, इस साल 18 मार्च को एमसीएक्स पर चांदी 33,580 रुपये प्रति किलो तक टूटी थी, जिसके बाद 27,700 रुपये यानी 82.48 फीसदी की तेजी आई है।
बता दें कि चांदी एमसीएक्स पर इससे पहले 25 अप्रैल 2011 में 73,600 रुपये प्रति किलो तक उछला था जबकि हाजिर बाजार में चांदी का भाव 77,000 रुपये प्रति किलो तक उछला था।
इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के रेट के अनुसार, भारतीय सर्राफा बाजार में बुधवार को 24 कैरट सोने का हाजिर भाव (बिना जीएसटी) 50,220 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी का भाव 60043 रुपये प्रति किलो था।
आईबीजेए के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने कहा, चांदी में तीन कारणों से तेजी आई है। पहली वजह, सोना और चांदी के भाव का अनुपात मार्च में बढ़कर 125 के उपर चला गया था जोकि आमतौर पर 65 के आसपास रहता है, इसलिए उसमें सुधार हो रहा है। दूसरी वजह, मेक्सिको में कोरोना के कारण खनन बाधित होने से सप्लाई की समस्या पैदा हो गई है। इसके अलावा चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की संभावना बनी हुई और दिवाली तक चांदी का भाव घरेलू हाजिर व वायदा बाजार में 70,000 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है। सोने में ज्यादा तेजी गुंजाइश नहीं है, लेकिन दिवाली में सोने का भाव 53,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है।
चांदी का अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर 23 डॉलर प्रति औंस के उपर चला गया है जबकि मार्च में चांदी का भाव 12 डॉलर प्रति औंस तक टूटा था। बता दें कि कॉमेक्स पर चांदी का भाव 2011 में 49.52 डॉलर प्रति औंस तक उछला था जोकि रिकॉर्ड स्तर है।
कॉमेक्स सोने का भाव भी 1866.75 डॉलर प्रति औंस तक उछला जोकि नौ सितंबर 2011 के बाद उंचा स्तर है जब सोने का भाव 1881 डॉलर प्रति औंस के करीब था। जबकि कॉमेक्स पर सोने का भाव छह सितंबर 2011 में 1911.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला था जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने कहा, सोना जब महंगा हो जाता है तो चांदी के आभूषणों की मांग बढ़ जाती है। इस बार मानसून अच्छा है जिससे फसलों की अच्छी पैदावार रहने पर त्योहारी सीजन में ग्रामीण इलाकों में चांदी की मांग जबरदस्त रह सकती है जिससे कीमत 70,000 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है।
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा, कोरोनावायरस संक्रमण के कारण खनन कार्य प्रभावित होने और आपूर्ति बाधित होने से चांदी की कीमतों में ज्यादा तेजी देखी जा रही है। हालांकि कोरोना काल में निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ निवेशकों का रुझान बढ़ने से महंगी धातुओं की कीमतों को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। कमोडिटी विश्लेषक बताते हैं हार्ड एसेट्स के तौर पर इस समय सोना और चांदी लोगों की पहली पसंद बन गई है।
सोना और चांदी के भाव का अनुपात कोविड-19 महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच चुका है और इस समय 83 के स्तर पर है जोकि इस बात का सूचक है कि निवेशक सोने से कहीं ज्यादा चांदी में निवेश करने में दिलचस्पी ले रहे हैं।
-- आईएएनएस
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।